आज हम आपको बताएंगे कि बांग्लादेश का नया प्रधानमंत्री आखिर कौन बन सकता है! दरअसल, हाल ही में बांग्लादेश की सत्ता पलट चुकी है, जिसके बाद अब नए प्रधानमंत्री की आस लगाई जा रही है! लोग पीएम हाउस घुस चुके हैं, जो चिंता का विषय है! जानकारी के लिए बता दें किभारत के पड़ोस बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद सेना ने सत्ता संभाल ली है। हसीना ने इस समय भारत में शरण ले रखी है। इसी बीच माना जा रहा है कि वह यहां कुछ समय रुकने के बाद लंदन जा सकती है। हालांकि, हसीना की इस बर्बादी के पीछे छात्रों का सिर्फ आरक्षण विरोधी प्रदर्शन ही नहीं है, बल्कि हसीना ने देश की दो बड़ी महत्वपूर्ण हस्तियों के साथ की गई नाइंसाफी भी थी, जिनकी वहां के आम लोगों में अच्छी-खासी प्रतिष्ठा थी। ये हैं नोबेल पुरस्कार विजेता और ग्रामीण बैंक के सूत्रधार मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेश के पूर्व चीफ जस्टिस सुरेंद्र कुमार सिन्हा। इन दोनों को वहां की जनता अपने सिर आंखों पर बिठाती रही है। बता दें कि इन दोंनों के खिलाफ की गई बदले की कार्रवाई ने वहां की जनता के मन में हसीना सरकार के प्रति गुस्सा भर दिया। इस गुस्से को बस एक चिंगारी मिलनी थी, जो आरक्षण विरोधी आग के रूप में मिल गई और हसीना की सत्ता खाक में मिल गई। माना जा रह है कि यूसुफ को केयरटेकर पीएम बनाया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दे कि 28 जून, 1940 को जन्मे मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के एक सामाजिक उद्यमी, एक बैंकर, एक अर्थशास्त्री और सिविल सोसायटी के नेता हैं। यूनुस ने 2006 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की और माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस जैसे नए-नए आइडिया दिया। इसी बात के लिए उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। नोबेल कमेटी ने यूनुस और ग्रामीण बैंक को एक साथ माइक्रो क्रेडिट के माध्यम से नीचे से आर्थिक और सामाजिक विकास करने के उनके प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा। यही नहीं 2009 में उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया था। 2010 में उन्हें कांग्रेसनल गोल्ड मेडल दिया गया। इसके साथ ही उन्हें कई और भी अवॉर्ड मिल चुके हैं।
बता दे कि हसीना के कार्यकाल में ही मोहम्मद यूनुस पर 20 लाख अमेरिकी डॉलर गबन करने का आरोप लगाए गए थे। इस मामले और श्रम कानूनों को न मानने के आरोप में यूनुस को 6 महीने की जेल की सजा भी सुनाई गई थी। हालांकि, युनूस अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से नकारते रहे हैं। वह जमानत पर जेल से बाहर भी आ गए।
यूनुस को साल 2006 में पूरे बांग्लादेश में ग्रामीण बैंकों की चेन शुरू करने की वजह से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी बीच सरकार ने यूनुस और अन्य लोगों पर ग्रामीण टेलीकॉम के श्रमिक कल्याण कोष से करीब 20 लाख अमेरिकी डॉलर का गबन करने का आरोप लगाया है। बताया गया कि ग्रामीण टेलीकॉम के पास बांग्लादेश के सबसे बड़े मोबाइल फोन ऑपरेटर ग्रामीणफोन में 34.2 फीसदी हिस्सेदारी है। ग्रामीण फोन नॉर्वे की टेलीकॉम दिग्गज टेलीनॉर की सहायक कंपनी है।
बता दे कि मोहम्मद यूनुस पर हसीना सरकार ने 200 से ज्यादा मामले दर्ज करवाए हैं, जिनमें भ्रष्टाचार के बड़े आरोप भी शामिल हैं। इन मामलों में दोषी पाए जाने पर उन्हें वर्षों तक की जेल की सलाखों में रहन पड़ सकता है। इसे लेकर भी जनता के बीच काफी नाराजगी थी। यूनुस को श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोप में 6 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उन्हें जमानत दे दी गई थी।
यही नहीं यूनुस के लिए लड़ने वाले वकीलों ने ग्रामीण टेलीकॉम मामले को बेबुनियाद, झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया था। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य वैश्विक समुदाय के सामने उन्हें परेशान करना और अपमानित करना था। वहीं, ब्रिटिश बिजनेस टाइकून रिचर्ड ब्रैनसन ने इसे न्याय का वास्तविक गर्भपात, यूनुस और उनकी विरासत को नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध सरकार द्वारा राजनीति से प्रेरित मुकदमा करार दिया था। अमेरिकी वकील और अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी ने इसे अपने आलोचकों के खिलाफ बांग्लादेश सरकार के प्रतिशोध का एक और उदाहरण बताया था।
जानकारी के लिए बता दे कि बांग्लादेश में आरक्षण विरोध हिंसा में अब तक 300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। विरोध प्रदर्शन शुरू में बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह शेख हसीना की अवामी लीग के सदस्यों के पक्ष में है और इसकी जगह योग्यता आधारित प्रणाली की मांग की। जैसे ही सरकार ने कार्रवाई की। यह मामला बढ़ गया और प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करनी शुरू कर दी। यह प्रदर्शन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के सेनानियों को मिल रहे 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ हो रहा है।