यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या दुनिया में वापस मंकीपॉक्स आ गया है या नहीं, क्योंकि अगर रिपोर्ट्स की बात करें तो रिपोर्ट्स में कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा है! आपकी जानकारी के लिए बताने कि कोरोना महामारी की मार से दुनिया अभी उबरी ही थी कि एक और बीमारी दस्तक देने वाली है। यह बीमारी वैसे तो मुख्य रूप से अफ्रीका में होती है, लेकिन अब इसके मामल दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी देखे जा रहे हैं। राहत की बात यह है कि एमपॉक्स कोरोना वायरस जितनी तेजी से नहीं फैलता है, लेकिन इसकी कुछ किस्में जानलेवा हो सकती हैं। बता दें कि भारत में बी इसे देखते हुए एहतियात बरतने को कहा गया है। यह वायरस पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पहुंच चुका है। वायरस के बारे में खास बात और है कि 2 साल के भीतर इसने दूसरी बार पूरी दुनिया को डराया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मंकीपॉक्स स्वीडन और पाकिस्तान में तक पहुंच चुका है। स्वीडन ने कहा है कि अफ्रीका से लौटे एक व्यक्ति में एमपॉक्स पाया गया है।बता दें कि यह मामला विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस बीमारी के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने और यूरोप में और अधिक मामलों की चेतावनी देने के एक दिन बाद सामने आया है। शुक्रवार को पाकिस्तान अफ्रीका के बाहर एमपॉक्स का मामला दर्ज करने वाला दूसरा देश बन गया। यह मरीज एक खाड़ी देश से लौटा था, पाकिस्तानी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि जिस तरह के एमपॉक्स वायरस का संक्रमण हुआ है, यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस बार एमपॉक्स का जो नया मामला सामने आया है, उसमें एक नया प्रकार का वायरस है, जिसे ‘क्लेड आईबी’ कहते हैं। यह क्लेड आई का ही एक रूप है, जो अफ्रीका के कांगो में पाया जाता है। स्वीडन के अधिकारियों ने कहा है कि क्लेड आईबी मुख्य रूप से घर के सदस्यों के बीच फैल रहा है और बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है। साल 2022 में जब दुनिया भर में एमपॉक्स की चेतावनी दी गई थी, तब फैला हुआ क्लेड IIB मुख्य रूप से यौन संपर्क से फैलता था। बता दें कि जुलाई 2022 में हुए एमपॉक्स के प्रकोप से लगभग 1 लाख लोग, जिनमें ज्यादातर समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुष थे, 116 देशों में प्रभावित हुए थे और करीब 200 लोगों की मौत हो गई थी। भारत में 27 मामले सामने आए थे और एक मौत हुई थी। क्लेड आईबी की बीमारी क्लेड IIB जैसी ही है, लेकिन यह तेजी से फैलती है और इससे ज्यादा लोग मर सकते हैं। पश्चिम अफ्रीका से आया क्लेड II वायरस से लगभग 1 प्रतिशत लोगों की मौत होती है, लेकिन खबरों के मुताबिक क्लेड आई से 10 प्रतिशत तक लोगों की मौत हो सकती है।
जानकारी के लिए बता दे कि मंकीपॉक्स बीमारी संक्रमित लोगों के करीबी संपर्क से फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के सामने चेहरे के पास बातचीत या सांस लेने के दौरान बूंदों के माध्यम से या त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से, जिसमें यौन संबंध और मुंह से मुंह या मुंह से त्वचा का संपर्क शामिल है, से संक्रमण हो सकता है। यह बीमारी कुछ तरह के बंदरों और चूहों जैसे संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से भी लोगों में फैल सकती है। ऐसे जानवरों की खाल उतारने या उनके मांस को अच्छी तरह न पकाकर खाने से भी बीमारी हो सकती है। कमजोर या कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में गंभीर मंकीपॉक्स होने या मरने का खतरा अधिक होता है। जबकि कोरोना सांस लेने, बात करने, छींकने या खांसने से हवा में मौजूद छोटी-छोटी बूंदों के माध्यम से फैलता है और यह बहुत तेजी से फैलता है।
हालांकि इस बीमारी को आमतौर पर मंकीपॉक्स कहा जाता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन चाहता है कि इस नाम को बंद कर दिया जाए क्योंकि इससे नस्ली और कलंकित भाषा का इस्तेमाल हो रहा था। अब इस बीमारी को मंकीपॉक्स की जगह एमपॉक्स कहा जाएगा। बता दें कि इसे ‘मंकीपॉक्स’ नाम इसलिए मिला क्योंकि इसकी खोज 1958 में डेनमार्क की एक प्रयोगशाला में हुई थी, जहां बंदरों में एक अजीब तरह की चेचक जैसी बीमारी देखी गई थी। साल 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक नौ साल के लड़के में पहला मानव मंकीपॉक्स का मामला पाया गया था।