Friday, March 28, 2025
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आखिर किस आधार पर महाराष्ट्र की राजनीति लगी नया मोड़?

आज हम आपको बताएंगे कि महाराष्ट्र की राजनीति नया मोड़ आखिर किस आधार पर लेगी! दरअसल, आने वाले समय में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी पार्टियों एक दूसरे को काबू करने की कोशिश कर रही है! जानकारी के लिए बता दे कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का अभी ऐलान नहीं हुआ है लेकिन राज्य में सियासी पारा चढ़ना शुरू हो गया है। लोकसभा चुनाव नतीजों को देखते हुए राज्य में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महायुति और महाविकास आघाडी के बीच होने की उम्मीद है, लेकिन राज्य में कई छोटे दल भी हुंकार भर रहे हैं लेकिन उनका प्रभाव एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित है। बता दें कि राज्य विधानसभा में चुनाव विपक्षी गठबंधन को जहां जीत का भरोसा है तो वहीं दूसरी तरफ महायुति के घटक दलों ने ‘लाडली बहन’ समेत तमाम लोकलुभावन योजनाओं के बूते वापसी की उम्मीद बांध रखी है। राज्य में मराठा आरक्षण सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। मराठा आरक्षण आंदोलन के चलते राज्य की ओबीसी राजनीति भी सुर्खियों में है। बता दें कि इन सब के बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख और उप मुख्यमंत्री अजित पवार के साथ मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरा मनोज जरांग पाटिल को फियर फैक्टर के तौर पर देखा जा रहा है। 2009 में राज ठाकरे पीक पर थे। तब उनकी पार्टी को दर्जनभर सीटों पर जीत मिली थीं, लेकिन पार्टी का जनाधार इसके बाद कम हो गया। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में राज ठाकरे ने पीएम मोदी का विरोध किया था, लेकिन 2024 के चुनाव में अप्रत्याशियत तौर पर उन्होंने समर्थन करते हुए मंच साझा किया था। जानकारी के लिए बता दे कि राज ठाकरे ने महाराष्ट्र की 200 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। हिंदुत्व और मराठा की राजनीति करने वाले राज ठाकरे के चुनाव मैदान में उतरने से किसे फायदा और नुकसान होगा। यह तो नतीजों में स्पष्ट होगा। उनके हिंदुत्व वाले वोट काटने से बीजेपी और मराठा वोटों में सेंध महाविकास आघाडी को नुकसान हो सकता है। ऐसे में उन्हें दोनों गठबंधनों के लिए फियर फैक्टर के तौर पर देखा जा रहा है। राज ठाकरे विधानसभा चुनावों के ऐलान से पहले मराठावाड़ा की यात्रा पर हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि वे उद्धव ठाकरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन पूर्व में उनके चुनाव लड़ने से बीजेपी को भी नुकसान हो चुका है। राज ठाकरे कुछ बीजेपी और बाकी शिंदे और उद्धव ठाकरे वाली राजनीति ही करते हैं।

बता दे कि पिछले साल जुलाई में अपने चाचा शरद पवार का साथ छोड़कर महायुति सरकार में शामिल हुए अजित पवार ने पांचवीं बार डिप्टी सीएम की शपथ ग्रहण की थी। अजित पवार कई मौकों पर अपने मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को व्यक्त कर चुके हैं। अभी हाल ही में उन्होंने एकनाथ शिंदे के ऊपर लिखी गई किताब के विमोचन पर मुख्यमंत्री बात कहकर सनसनी फैला दी थी। अजित पवार ने कहा था कि अगर सीएम का ऑफर होता तो वह पूरी एनसीपी ले आते। अजित पवार डिप्टी सीएम के साथ वित्त विभाग भी संभाल रहे हैं। बता दें कि आजकल वे गुलाबी जैकेट के साथ जनसम्मान यात्रा पर हैं। वे नए अंदाज में मिल रहे हैं। अभी तक के करियर में वह इस अंदाज में नहीं दिखे हैं। अजित पवार 40 विधायकों के साथ अलग हुए थे। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अगर वह इनमें से 25 से 30 विधायकों को साथ लाैटते हैं, तो वह एक अलग पोजीशन में हो सकते हैं। राजनीतिक हलकों में कयासबाजी है कि महायुति और महाविकास आघाडी में किसी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में दादा अपना सीएम का ड्रीम पूरा कर सकते है। दादा क्या करेंगे? इसको लेकर खूब राजनीतिक कयासबाजी हो रही है।यही नहीं राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि शरद पवार ने उनकी वापसी के दरवाजे बंद नहीं किए हैं। उन्होंने कहा था कि अजित पवार की वापसी पर पार्टी फैसला करेगी?

मनोज जरांगे पाटिल ने जालना में भूख हड़तालें करके राज्य में मराठा आरक्षण को बड़ा मुद्दा बना दिया है। इस मुद्दे पर सरकार पसोपेश में है तो दूसरी तरफ शरद पवार ने कहा है कि सरकार जरांगे से बात करे। इसके साथ ही सर्वदलीय बैठक बुलाए। मराठा आरक्षण पर विशेष सत्र के साथ बहुत कुछ हो चुका है लेकिन मुद्दा हल नहीं हुआ है। ऐसे में जरांगे राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने की धमकी दे रहे हैं। अगर वे चुनाव में कैंडिडेट उतारते हैं तो दो चार सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं, लेकिन करीब 25 सीटों पर वह हराने की ताकत रखते हैं। बता दें कि मनोज जरांगे पाटिल क्या करेंगे? इसको लेकर महायुति और महाविकास आघाडी की उनके ऊपर नजर है। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 6 नंवबर तक है। राज्य में 15 अक्टूबर के बाद कभी भी चुनाव होने की उम्मीद है।

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