Friday, March 28, 2025
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कोलकाता महिला डॉक्टर रेप कांड में क्या आया नया मोड़ ?

आज हम आपको बताएंगे कि कोलकाता महिला डॉक्टर रेप कांड में आखिर नया मोड़ क्या आया है! दरअसल, हाल ही में कोलकाता में एक रेप कांड सामने आया, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया! जानकारी के लिए बता दें कि देशभर को झकझोर देने वाले कोलकाता मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर की हत्या और रेप की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई करेगी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला सुनाया है। बता दें कि हाईकोर्ट ने बुधवार की सुबह तक केस डायरी के साथ सीसीटीवी फुटेज को सीबीआई के सुपुर्द करने का आदेश दिया है। देश भर में डॉक्टरों के गुस्से का कारण बने इस केस में पीड़ित परिवार के साथ चिकित्सकों की तरफ से निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही थी, लेकिन पीड़ित परिवार से मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस को रविवार तक केस सॉल्व करने का समय दे दिया था। अब कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद सवाल खड़ा हो रहा है कि पूरे देश को हिला कर रख देने वाली इस घटना की गंभीरता को भांपने में क्या ममता बनर्जी से चूक हो गई? यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है क्यों पूरे देश में ममता बनर्जी इकलौती महिला मुख्यमंत्री हैं। बता दें कि इस मामले को लेकर राज्य में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी जहां उनके ऊपर हमलावर थी। पार्टी की तरफ से सीबीआई जांच की मांग की जा रही थी, राज्य सरकार चाहती तो इस मुद्दे को सीबीआई को सुपुर्द करके एक बड़ी मांग पूरी कर सकती है। अगर सरकार दो दिन पहले फैसला ले लेती तो शायद ही इस मामले में हाईकोर्ट को हस्तक्षेप होगा। विपक्ष के अलावा इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने की अपेक्षा की थी, लेकिन ममता बनर्जी सीबीआई जांच की सिफारिश करने में चूक गईं। बता दें कि इससे पहले राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी को संदेशखाली के मुद्दे पर काफी किरकरी का सामना करना पड़ा था। शाहजहां शेख की गिरफ्तारी लंबी गुमशुदगी के बाद तब हुई थी जब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की सीआईडी और पुलिस को अल्टीमेटम दे दिया था।

सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि तृणमूल कांग्रेस जघन्य हत्याकांड की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के बारे में समय रहते फैसला क्यों नहीं लिया? पार्टी में ममता बनर्जी के साथ महिला सांसदों की बड़ी संख्या है। अगर पार्टी की तरफ इस मामले पर गंभीर रुख अपनाया गया होता तो शायद सरकार की साख में बढ़ोतरी होती। ममता बनर्जी की तरफ से दी गई डेडलाइन से पहले कोर्ट का आदेश नहीं आता, क्योंकि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के संगठनों ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर इस मामलो की जांच स्वतंत्र एजेंसी या फिर मजिस्ट्रेट की अगुवाई में जांच का आग्रह किया था।यही नहीं ममता बनर्जी एक महिला मुख्यमंत्री के तौर इस मामले में एक अलग लकीर खींच सकती थीं। इससे निश्चित तौर पर डॉक्टरों के बीच उनकी एक संदेवनशील मुख्यमंत्री की छवि उभरकर सामने आती क्योंकि कोलकाता में गुरुवार-शुक्रवार की देर रात के बाद आरजी कर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर की हत्या और रेप की तुलना दिल्ली के निर्भया कांड से हो रही है।

जानकारी के लिए बता दे कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस तमाम घोटालों और दूसरे मुद्दों को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को राजनीतिक बताती आई है, लेकिन सरकारी हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में 31 साल की लेडी डॉक्टर की बेरहमी से हत्या और दरिंदगी की घटना पर पार्टी के लिए खुद का बचाव करना कठिन होगा, क्योंकि राज्य में बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी महिला सुरक्षा के मुद्दे पर ममता बनर्जी को घेरती आई है। सुवेंदु अधिकारी के साथ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी निशाने पर लिया है। राजधानी कोलकाता में जघन्य हत्या और लेडी डॉक्टर से दरिंदगी का मामला में आने वाले दिनों जहां विपक्ष को और हमला बोलने का मौका देगा, तो वहीं महिला होने के बाद ममता बनर्जी के लिए वूमेन सिक्योरिटी पर बोलना कठिन होगा।

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