आज हम आपको बताएंगे कि आखिर बॉलीवुड में पारिवारिक फिल्मों का दबदबा क्यों है! जानकारी के लिए बता दे कि यदि कोई भी डायरेक्ट एक ऐसी फिल्म बनाता है जो परिवार से संबंध रखती है तो वह कहीं ना कहीं सुपरहिट हो ही जाती है! जानकारी के लिए बता दें कि ‘मेरे पास मां है’ अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म ‘दीवार’ का ये डायलॉग कौन नहीं जानता। फिल्म में जब नायक अमिताभ बच्चन अपने भाई शशि कपूर के सामने ये डायलॉग कहता है, तो दर्शक तालियां पीटते रह जाते हैं। वाकई पारिवारिक फिल्मों की बात की जाए, तो बॉलिवुड में मां के इमोशन को खूब भुनाया गया है। गरीब, बेबस, लाचार और जमाने की सताई हुई मां के लिए हीरो कुछ भी कर गुजरने को तैयार। दीवार की निरूपा रॉय ने सुहाग, खून पसीना, इंकलाब, अमर अकबर एंथोनी, मर्द, गंगा युमना सरस्वती में बेबस और लाचार मां को दर्शकों के सामने कुछ इस अंदाज से जिया कि वे जगत माता बन गईं। हम आपको बता दें कि मां के इस इमोशन को फिल्मकार पहले भी कैश करते रहे हैं। निरूपा रॉय से पहले सुलोचना और कामिनी कौशल जैसी अभिनेत्रियों ने बेचारी मां को साकार किया। मगर मां का एंगल फैमिली ड्रामा में हमेशा हिट रहा, हालांकि ‘करन-अर्जुन’ तक आते-आते ये बेबस मां विलेन के सामने ये बोलने की हिम्मत करने लगी, ‘मेरे करन अर्जुन आएंगे’ शाहरुख और सलमान की मां बनी राखी का ये डायलॉग आज भी गाहे-बगाहे बोला जाता है। समाज में मां की भूमिका बदलने के साथ-साथ फिल्मों में भी उसका असर देखने मिला। ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की फरीदा जलाल, ‘हम साथ साथ हैं’ की रीमा लागू, ‘देवदास’ की किरण खेर, ‘कभी खुशी कभी गम’ की जया बच्चन के रूप में नए दौर की मांओं का आगमन हुआ, मगर मां के आंसू हमेशा रुलाते रहे। हिंदी सिनेमा में फिर एक दौर ऐसा आया, जब सिल्वर स्क्रीन की सास-बहुओं के बीच साजिश और उन साजिशों का तोड़ निकालती बहुएं नजर आईं। फिल्म मेकर्स ने समाज में व्याप्त सास-बहू की आपसी रंजिश को पर्दे पर इस ढंग से पेश किया कि दर्शक उसे अपने घर की कहानी समझने लगे।जाहिर सी बात है की सौ दिन सास के में आशा पारेख पर जुल्म ढाती सास ललिता पवार को सबक सिखाने आई बहू रीना रॉय को लोगों ने बहुत-बहुत पसंद किया, जब फिल्म में ललिता पवार रीना रॉय पर हाथ उठाती है, तो रीना उसका हाथ पकड़ लेती है।
जैसा कि क्रूर सास के अत्याचारों का सिलसिला तो ललिता पवार ने 1950 में आई ‘दहेज’ से ही शुरू कर दिया था। उनकी इस क्रूरता में मनोरमा, शशिकला और अरुणा ईरानी सरीखी सासों ने आग में घी का काम किया, मगर मीनाक्षी शेषाद्री, रीना रॉय, माधुरी दीक्षित जैसी बहुएं भी चुप नहीं बैठीं और उन्होंने भी मुह तोड़ जबाब दिया। सौ दिन सास के, सास भी कभी बहू थी, बेटा, घर हो तो ऐसा, एक दिन बहू का जैसी फिल्मों में सास-बहू की पॉलिटिक्स को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
सन 1994 में आई हम आपके हैं कौन से शादी-ब्याह और रोमांस वाली फिल्मों का दौर शुरू हुआ, जहां दर्शकों को परंपरागत नायिका देखने को मिली। सूरज बड़जात्या की ये फिल्म पारिवारिक फिल्मों के लिए ट्रेंड सेटर साबित हुई, माधुरी दीक्षित के मध्यम वर्गीय मूल्य ही नहीं बल्कि पर्पल साड़ी में ‘दीदी तेरा देवर दीवाना’ ने भी लोगों को दीवाना कर दिया। बस फिर क्या था, पर्दे पर नाचती-गाती जॉइंट फैमिलियों में बहू-बेटी, बुआ, चाची, मामी ने खूब घूम मचाई और इसीलिए ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’, ‘हम साथ साथ हैं’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘विवाह’, ‘हलचल’, ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’, ‘मैं हूं न’, ‘नमस्ते लंडन’,’दिल धड़कने दो’, ‘प्रेम रतन धन पायो’,’वक्त द रेस अगेंस्ट टाइम’ जैसी फैमिली ड्रामा ने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।
जमाना बदला, तो पर्दे पर आज की नायिकाएं भी बदलीं, मगर फिल्मकारों ने परिवार का दामन नहीं छोड़ा, हां महिला सशक्तिकरण और मुद्दों के इस दौर में हीरोइने फिल्मों में वुमन एम्पावरमेंट को सशक्त करती दिखीं। हालिया रिलीज ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में आलिया भट्ट जेंडर इक्विलिटी, जाति प्रथा और औरतों की ख्वाहिशों की बात करती दिखीं, जिसे ऑडियंस ने बहुत ज्यादा पसंद किया। बवाल में जाह्नवी कपूर ने बेमेल शादी के मुद्दे को उठाया, तो जरा हटके जरा बचके जैसी फिल्म में जॉइंट फैमिली में रहती सारा अली खान ने अपने घर की इच्छा पर बात की। सत्य प्रेम की कथा जैसी पारिवारिक फिल्म में कियारा ने जब एक रेप पीड़ित शादीशुदा लड़की का मुद्दा उठाया, तो उसे भी दर्शकों ने काफी पसंद किया। तू झूठी में मक्कार में श्रद्धा कपूर जॉइंट फैमिली में उलझी अर्बन लड़की की सोच को मुखर करती दिखीं। हालांकि फैमिली ओरिएंटेड फिल्मों में मुद्दों और महिला शक्ति को टॉयलेट एक प्रेम कथा में भूमि पेडनेकर, बरेली की बर्फी में कृति सेनन, बधाई हो में नीना गुप्ता जैसी अनेकों नायिकाओं ने भी साकार किया। बदलते वक्त के साथ फिल्मों के विषय जरूर बदले हैं, मगर परिवार के रूप में मूल जस का तस है।