राजस्थान लोकसभा सीट पर अशोक गहलोत का जादू नहीं चल पाया है! जानकारी के लिए बता दे कि उनके बेटे वैभव गहलोत लोकसभा चुनाव के परिणाम में हार चुके हैं! बता दे कि विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी राजस्थान में अशोक गहलोत का जादू नहीं चला है। गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जालोर लोकसभा सीट से बुरी तरह पिछड़ गए। वैभव को हार का सामना करना पड़ा है। जालोर से भाजपा के लुम्बाराम चौधरी ने पांचवी बार जीत हासिल की है। बीजेपी कैंडिडेट लुम्बाराम चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत से 2,01,543 वोटों से हराया है। लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जालोर लोकसभा क्षेत्र में डेरा डाले रहे। उन्होंने अपने बेटे को चुनाव जीताने की पूरी कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। वैभव गहलोत की पत्नी हिमांशी गहलोत भी लगातार जालोर में ही रहीं थी और अपने पति के समर्थन में वोट मांगती रही। गहलोत ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की सभा भी करवाई, लेकिन कांग्रेस के प्रयास रंग नहीं लाए। आखिरकार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में गहलोत का जादू नहीं चला। हार के डर से ही गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर से चुनाव नहीं लड़ाया। जोधपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने करण सिंह उचियारड़ा को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा ने लगातार तीसरी बार गजेंद्र सिंह शेखावत को चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा 1,14,750 वोटों से हारे हैं। इससे पहले पिछले लोकसभा चुनाव में वैभव गहलोत करीब 2 लाख मतों से चुनाव हार गए थे। 2019 में अशोक गहलोत ने वैभव गहलोत की हार के बाद जोधपुर से इस बार करण सिंह को टिकट दिलाया था। वहीं वैभव को जालोर से प्रत्याशी बनवाया था।
यही नहीं आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी नतीजे हर किसी को हैरान कर रहे हैं। इसी बीच अभी वोटिंग जारी है। राजस्थान में भी कई सीटों पर नतीजों का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि कई बड़े सीट्स पर नतीजें सामने आ गए है। इसी बीच जयपुर ग्रामीण सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। यहां वोट की कॉउंटिंगके बाद जिला प्रशासन ने राव राजेंद्र सिंह ने विजेता घोषित कर दिया है। इसके साथ ही राव राजेंद्र की जीत की घोषणा होने के बाद इस पर लगातार बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस उम्मीदवार अनिल चोपड़ा ने राव राजेंद्र की जीत को लेकर आरोप लगाया है कि यहां मतगणना में गड़बड़ी की गई है।
अनिल चोपड़ा की ओर से मतगणना की गड़बड़ी के आरोप लगाए जाने के बाद कांग्रेस एकजुट हो गई है। चोपड़ा ने पूरे मामले की जानकारी राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा को भी दे दी है। इसके बाद डोटासरा सहित कांग्रेस के कई बड़े नेता राजधानी जयपुर स्थित कॉमर्स कॉलेज में जुटने शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि यहां पहुंचने के बाद पार्टी दोबारा जिला प्रशासन से मिलकर री-काउंटिंग के लिए आवेदन करेगी। अनिल चोपड़ा युवा नेता के तौर पर जाने जाते हैं। साथ ही सचिन पायलट के भी बड़े समर्थक भी हैं। वे छात्र जीवन से ही राजनीति में उतर गए। छात्र हितों के लिए आंदोलन करते करते कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के सदस्य बने। बाद में वर्ष 2004 में एनएसयूआई के बेनरतले राजस्थान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बन गए। छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद वे रातोंरात सुर्खियों में आ गए। छात्रसंघ अध्यक्ष बनते ही अनिल चोपड़ा ने यह तय कर लिया कि उन्हें राजनीति में रह कर ही आगे बढ़ना है और प्रदेश की सेवा करनी है। एनएसयूआई में रहते हुए कई वरिष्ठ नेताओं के साथ काम करने का अवसर मिला। बता दे की पार्टी में उन्हें प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी दी गई।
उल्लेखनीय है कि छात्रसंघ की राजनीति करते हुए कई युवा नेता विधायक बनते हुए मंत्री तक बने हैं। लेकिन, विधानसभा के बजाय अनिल चोपड़ा ने सीधे लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार पिछले 5 साल से जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर तैयारी कर रहे थे। बताया जाता है कि सचिन पायलट की सिफारिश पर ही पार्टी ने उन पर विश्वास जताया था। अनिल चोपड़ा जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव तक अपना फोकस बनाए हुए थे। चोपड़ा के संघर्ष और प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया है।