यह सवाल उठना लाजिमी है कि भारत में ही अपना राज यह ढोंगी बाबा कैसे जमा लेते हैं! दरअसल, हाल ही में हाथरस में एक ऐसे ही बाबा के सत्संग में हकदार मच गई, जिसके बाद कई सवाल उठने लगे! जानकारी के लिए बता दें कि हाथरस में जिस तरह से भगदड़ मची और 121 लोगों की मौत हो गई, उसने हर किसी का ध्यान इस ओर खींचा है। इस घटना से पहले शहरी इलाकों में बहुत कम लोगों ने भोले बाबा के बारे में सुना होगा। इस घटना ने शायद उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया होगा कि आखिर इतने सारे लोग उनके आश्रम में क्यों आते हैं? लोगों की इच्छा यही रहती होगी कि उनके पैरों से छुई गई मिट्टी या उनके सत्संगों में बांटे गए ‘पवित्र’ जल को भोग कर सकें। लेकिन नारायण हरि साकार उर्फ भोले बाबा की तरह, कई स्वयंभू बाबाओं ने भारी संख्या में अनुयायियों को जुटा रखा है, जो उन्हें आलीशान स्विमिंग पूल और हरी-भरी जगहों के साथ विशाल आश्रम बनाने में सक्षम बनाता है। इन्हें दर्जनों वॉलंटियर्स के साथ एसयूवी में घुमाया जाता है, और अक्सर राजनेताओं, फिल्मी सितारों और अन्य मशहूर हस्तियों का संरक्षण प्राप्त होता है। इन स्वयंभू बाबाओं में से कुछ का आपराधिक रिकॉर्ड भी है। जैसा की हरियाणा के बाबा रामपाल और डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम इंसान को हत्या का दोषी पाया गया है। वहीं आसाराम को बलात्कार और गलत तरीके से कारावास में रखने का दोषी पाया गया है। इसके बावजूद, लाखों भारतीयों को उन पर आंख मूंदकर भरोसा क्यों है? इनमें से अधिकांश तथाकथित बाबा स्वयं विनम्र पृष्ठभूमि से हैं। जानकारी के अनुसार भोले बाबा एक दलित हैं – और उनकी ज्यादा पहुंच सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित लोगों में है। और उनके अमीर फॉलोअर्स की भी कमी नहीं है जो दान देने में बहुत आगे हैं। इसके साथ ही अवधेश माहेश्वरी, जो खुद को साकार का सेवक कहते हैं, ने टीओआई को बताया कि हालांकि उनके फॉलोअर्स देश भर से आते हैं, लेकिन वे मुख्य रूप से निम्न मध्यम वर्ग से हैं।
बता दे की भोले बाबा ने जातीय बंधनों और कलंक की जगह आइडिया ऑफ सोसायटी का समर्थन करके एक बहुत बड़े दलित समुदाय पर अपना प्रभाव जमाया। सामान्य पृष्ठभूमि वाले एक अन्य ‘गुरु’ रामपाल, जो सोनीपत के एक किसान के बेटे हैं, सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। इसके बाद उन्होंने कबीर (दलित समुदाय में व्यापक रूप से पूजनीय) से प्रेरणा ली और ‘संत’ बन गए। इसी तरह, पंजाब और हरियाणा में फैले डेराओं में हर जाति के अनुयायी हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर दलित और ओबीसी हैं। भूमिहीन और गरीबों के लिए, डेरे सामाजिक समानता और सम्मान का वादा करते हैं।
सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को जेल की सजा भी दलित सिखों के बीच उनकी लोकप्रियता को कम नहीं कर सकी। डेरा के ध्यान केंद्र के नेता को भंगीदास निचली जाति का कोई व्यक्ति के रूप में नामित करने और सभी अनुयायियों को अपने मूल उपनामों को त्यागकर इंसान की उपाधि धारण करने जैसी प्रथाओं ने उनके अनुयायियों के बीच समानता की भावना पैदा की। इसने अपने अनुयायियों को कठोर धार्मिक प्रथाओं से भी मुक्त कर दिया और धार्मिक होने के प्रति अधिक लचीला दृष्टिकोण अपनाया जिसने शिष्यों को आकर्षित किया।
जेएनयू के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर अजय गुडुवर्ती कहते हैं कि हमारे जैसे गहरे जातिवादी समाज में, पंथ समुदाय और अपनेपन की भावना देते हैं। वे कहते है कि समाज में कोई सामाजिक गतिशीलता नहीं है जहां एक उच्च जाति और एक निम्न जाति को हिंदू देवताओं के हिस्से के रूप में साथ-साथ बैठाया जा सके। दूसरी ओर, पंथ लोगों को सशक्तिकरण की भावना देते हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाली समाजशास्त्री के. कल्याणी बताती हैं कि हिंदू धर्म, जो अगले जन्म को लेकर दावा करते हैं, उसके विपरीत ये स्वयंभू बाबा अपने अनुयायियों को तुरंत संतुष्टि देते हैं। अधिकांश बाबा स्कूल और ‘स्वास्थ्य’ शिविर जैसे परोपकारी प्रतिष्ठान चलाते हैं और वंचितों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
यह बताता है कि शारीरिक रूप से अनुपस्थित या जेल में बंद होने के बावजूद ये ‘गुरु’ सोशल मीडिया के जरिए फॉलोअर्स को कैसे आकर्षित करते रहते हैं। गुरमीत राम रहीम, जिन्हें उनके अनुयायी प्यार से पापाजी या एमएसजी पापा कहते हैं। अब भले ही सोने की चेन पहनें और अपने संगीत वीडियो में फैंसी बाइक चलाने वाले ब्लिंग या ‘हाईवे लव चार्जर’ के गुरु न हों, लेकिन उनके यूट्यूब चैनल के अभी भी 12 लाख सब्सक्राइबर हैं। रामपाल और निर्मल बाबा नियमित रूप से फेसबुक पर प्रवचन जारी रखते हैं। बलात्कार, अपहरण और बच्चों को गलत तरीके से कैद करने के आरोपों से बचने के लिए सरकार की ओर से भगोड़ा घोषित किए जाने के चार साल बाद भी नित्यानंद के इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर चार लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं।
‘आखिरकार कैलासा अब खुल गया है। 4 जुलाई को, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, टाइम्स स्क्वायर में ड्रम गूंज उठे, जो 21 जुलाई, गुरु पूर्णिमा को कैलासा के एक संप्रभु स्थान के आगामी रहस्योद्घाटन की शुरुआत करते हैं। और इसके साथ ही टाइम्स स्क्वायर पर इस तरह की आधिकारिक घोषणा की गई।’ रैप संगीत की थाप पर बजने वाला एक इंस्टा रील इस हफ्ते @srinithyananada की ओर से उनके अनुयायियों के लिए अपलोड किया गया था, जो अगले डिजिटल अपडेट का बेसब्री से इंतजार कर रहे होंगे। नित्यानंद ने पिछले साल उस समय भी इंटरनेट पर तहलका मचा दिया था जब उनकी टीम के एक सदस्य ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में ‘संयुक्त राज्य अमेरिका कैलासा’ का प्रतिनिधित्व किया था।