हाल ही में अमेरिका ने एक बार फिर भारतीय लोकसभा चुनाव के बारे में अपना बयान दे दिया है! जानकारी के लिए बता दे कि भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव में हस्तक्षेप के आरोपों पर अमेरिका ने सफाई दी है। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ‘हम भारत के लोकसभा चुनावों में बिलकुल भी शामिल नहीं है, क्योंकि हम दुनिया में कहीं भी चुनावों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।’ अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा, चुनाव पर फैसला भारत को लेना है। मिलर रूस के उन आरोपों पर जवाब दे रहे थे, जिसमें रूसी विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि अमेरिका भारत के चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा है। इसके साथ ही रूसी विदेश मंत्रालय ने भारत और अन्य देशों के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के संबंध निराधार आरोप लगाने को लेकर भी अमेरिका की आलोचना की थी। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि विदेशों से चुनाव में हस्तक्षेप की कोशिश हो रही है लेकिन वे सफल नहीं होंगे। हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया था। एक रिपोर्ट के हवाला देते हुए मॉस्को में रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने पत्रकारों से इसे अमेरिका की औपनिवेशिक मानसिकता बताया। वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में अमेरिका में रह रहे खालिस्तानी अलगावादी गुरपतवतसिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने में भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी का नाम लिया था। रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जखारोवा ने कहा था, ‘नई दिल्ली के खिलाफ नियमित निराधार आरोप, अमेरिका की राष्ट्रीय मानसिकता के साथ ही भारतीय राज्य के विकास के ऐतिहासिक संदर्भ में गलतफहमी और एक देश के रूप में भारत का अनादर दिखाता है।’
रूस के सरकारी प्रसारक ने जखारोवा का हवाला देते हुए कहा, ‘यही कारण है कि अमेरिका भारत में चल रहे संसदीय चुनावों को जटिल बनाने के लिए आंतरिक राजनीतिक स्थिति को असंतुलित करने का प्रयास करते हैं। यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।’ जखारोवा ने कहा कि हम देखते हैं कि अमेरिका न केवल भारत बल्कि कई दूसरे देशों पर भी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने का आधारहीन आरोप लगाता है। वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मिलर ने पन्नू के खिलाफ कथित साजिश को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘यह एक सार्वजनिक रूप से लगाया गया अभियोग है, जिसमें कथित तथ्य शामिल हैं. जब तक जूरी के सामने साबित नहीं हो जाते, वे तब तक आरोप हैं। बता दे कि कोई भी इसे पढ़ सकता है। मैं यहां उस बारे में बात नहीं चाहता क्योंकि यह एक कानूनी मामला है और इसे उसी पर छोड़ दूंगा।’ इसी बीच आपको बता दें कि गाजा में जारी अभियान के बीच अमेरिका ने इजरायल के लिए हथियारों की सप्लाई पर रोक लगाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसकी पुष्टि की है। सीएनएन को दिए एक विशेष इंटरव्यू में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहली बार कहा कि अगर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राफा में बड़े ऑपरेशन का आदेश दिया तो वह इजरायल को अमेरिकी हथियारों की खेप रोक देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, अगर इजरायल राफा के आबादी वाले इलाके में हमास के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू करता है तो उनका प्रशासन उसका समर्थन नहीं करेगा।
बाइडन ने को बताया कि गाजा में अमेरिकी बमों और इजरायल के आबादी वाले क्षेत्रों में घुसने के चलते नागरिक मारे गए हैं। राफा में संभावित इजरायली सैन्य अभियान को लेकर इसे अमेरिका की अब तक की सबसे सख्त टिप्पणी के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि वाशिंगटन को चिंता है कि इजरायल राफा में अपने अभियान को लेकर अमेरिका की धमकियों पर ध्यान नहीं दे रहा है। बता दे कि बाइडन प्रशासन कह चुका है कि राफा में कोई सैन्य अभियान नागरिकों के लिए बड़ा नुकसान होगा, जहां 10 लाख से अधिक फिलिस्तीनी मौजूद हैं। बाइडन ने कहा, ‘मैंने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि वे अंदर जाते हैं- वे अभी तक राफा में नहीं गए हैं- तो मैं उन हथियारों की आपूर्ति नहीं कर रहा हूं जिनका उपयोग ऐतिहासिक रूप से शहरों से निपटने के लिए किया गया है।’ बाइडन ने बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में आईडीएफ का राफा में ऑपरेशन सीमित था और यह राफा सीमा तक ही था। हालांकि, उन्होंने माना कि इससे मिस्र के साथ समस्या हो रही है।