Friday, March 28, 2025
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धूम्रपान से मौत, फिर भी इस्तेमाल क्यों करते हैं युवा?

यह सवाल उठना लाजिमी है की धूम्रपान से मौत होते हुए भी वर्तमान में युवा इसका इस्तेमाल क्यों करते हैं! जानकारी के लिए बता दे कि हर चार से पांच सेकंड में एक युवा की मौत धूम्रपान की वजह से होती है! लेकिन फिर भी युवाओं में यह एक ट्रेंड बन चुका है! जानकारी के लिए बता दे कि भारत समेत कई देशों में ई-सिगरेट को यह कहकर प्रचारित किया जाता है कि यह जोखिम रहित है और स्मोक फ्री है और यह सोशियली एक्सेप्टिबल है। हालांकि, पूरी दुनिया में यह साबित हो चुका है कि ई-सिगरेट भी सेहत के लिए उतनी ही खतरनाक है, जितनी कोई आम सिगरेट। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में हर 4 सेकेंड में 1 टोबैको यूजर अपनी जान गंवा रहा है। 1965 में पहली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बनी थी। इसका पेटेंट 2003 में कराया गया। हालांकि, ई-सिगरेट्स को पहली बार 2007 में उत्तर अमेरिका के मार्केट में उतारा गया था। तब से अब तक यह दुनियाभर में 400 से ज्यादा अलग-अलग बांड के नाम से बेची जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में ई-सिगरेट पीने की दर बड़ों के मुकाबले बच्चों में काफी ज्यादा है।

पूरी दुनिया मे 130 करोड़ तंबाकू यूजर्स हैं। यह संख्या इससे बढ़ भी सकती है। WHO के अनुसार, तंबाकू इस्तेमाल करने वालों में से आधे से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ती है। हर 4 सेकेंड में 1 तंबाकू यूजर की जान ले रहा है। वहीं, 13 से 15 साल के 3.7 करोड़ से ज्यादा किशोर ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें भरपूर मात्रा में तंबाकू होता है। क्लीवलैंड क्लीनिक पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ई-सिगरेट में मौजूद निकोटीन और अन्य चीजें फेफड़ों के अलावा आपके दिल और मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। निकोटीन मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है। ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है और आपकी धमनियों के रास्ते को संकरा बना सकता है।

आपको बता दे की 1971 में अमेरिका में कुछ जगहों पर सिगरेट के प्रचार पर बैन लगने के बाद तंबाकू कंपनियों ने युवाओं और बच्चों की तरफ रुख किया। उन्होंने आक्रामक रूप से ई-सिगरेट का प्रचार प्रसार छेड़ दिया। यह वह वक्त था, जब भारत-पाकिस्तान के खिलाफ एक जंग लड़ी जा रही थी। स्काईक्वेस्ट टेक्नोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनिया में ई-सिगरेट की इंडस्ट्री 28 बिलियन डॉलर 2.33 लाख करोड़ रुपए के पार हो चुकी है। 4.5 फीसदी की जिस दर से इसकी ग्रोथ रेट बढ़ रही है, उससे इस इंडस्ट्री के 2033 तक 66.2 बिलियन डॉलर 5.50 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया जा रहा है। भारत समेत दुनिया के कुछ हिस्सों में ई-सिगरेट बैन होने की वजह से तंबाकू कंपनियों ने चालाकी से डिजिटल मार्केट का रुख किया। 2007 से ई-सिगरेट के मार्केट में कदम रखने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 100 से ज्यादा हैशटैग के साथ प्रचार करना शुरू किया, जिसे 2007 से 2016 तक 2500 करोड़ बार पूरी दुनिया में देखा जा चुका है।

आपको यकीन नहीं होगा, मगर ये हकीकत है कि आज दुनिया में तंबाकू का मार्केट इतना बढ़ चुका है कि यह 900 बिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है। यह रकम अमेरिका के सैन्य खर्चों यानी 916 बिलियन डॉलर के तकरीबन बराबर ही है। इस टोबैको इंडस्ट्री के 2031 तक 1090 बिलियन डॉलर के पार पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।

तंबाकू कंपनियां इतनी चालाक हैं कि उन्होंने युवाओं, खासकर किशोरों को लुभाने के लिए मीठे और फलों के फ्लेवर वाले ई-सिगरेट बेचने शुरू कर दिए। इसका नतीजा यह हुआ कि जो लोग सिगरेट नहीं भी पसंद करते थे, वो भी ई-सिगरेट की शक्ल में तंबाकू लेने लगे। रिसर्चरों के अनुसार, दुनिया में अभी तक 15 हजार से ज्यादा ई-सिगरेट फ्लेवर्स मौजूद हैं। पतला और पॉकेट फ्रेंडली होने के नाते ये सिगरेट युवाओं में तेजी से लोकप्रिय होने की एक और बड़ी वजह है। कुछ ई-सिगरेट कंपनियां तो इतनी चालाक निकलीं कि उन्होंने बच्चों और किशोरों के बीच पॉपुलर कार्टून कैरेक्टर्स तक के हाथों में भी ई-सिगरटे थमा दिए। जैसे कि यूनिकॉर्न्स को कंपनियों के मीठे फ्लेवर्स वाले ई-सिगरेट का प्रचार करते दिखाया गया। इसके अलावा, फिल्मों और टीवी सीरियल्स में भी ई-सिगरेट को बढ़-चढ़कर दिखाया जा रहा है, जिसे देखने वाली ज्यादातर आबादी युवाओं की ही है।

दुनिया में कई देशा में उन जगहों पर टोबैको वेंडिंग मशीनें लगाई जाती हैं, जहां सबसे ज्यादा युवा और बच्चे आते हैं, ताकि उन्हें आसानी से निकोटीन प्रोडॅक्ट्स मिल सके। ज्यादातर टोबैको वेंडिंग मशीनें स्कूलों और पार्कों के पास लगाई जाती हैं, ताकि उन्हें लुभाया जा सके। इंटरनेट और डिजिटल मार्केटिंग के जरिये धड़ल्ले से निकोटीन प्रोडॅक्ट्स को बेचा जा रहा है। कई देशों में ई-सिगरेट ऐसी जगहों पर बेची जा रही हैं, जहां पर बच्चों के खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, मिठाइयों, स्नैक्स की शॉप ज्यादा होती हैं।

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