Friday, March 28, 2025
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जानिए दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध में झोंकने वाले तानाशाह की कहानी!

आज हम आपको दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध में झोंकने वाले तानाशाह की कहानी सुनाने जा रहे हैं! यह ऐसे तानाशाह थे जिनके नाम से दुनिया आज भी कांपती है! एक ऐसा समय जब उनके नाम की चर्चा हर दिल में एक खौफ के रूप में रहा करती थी! आज हम आपको उन्हीं तानाशाह की कहानी सुनाने जा रहे हैं! जानकारी के लिए बता दे कि हिटलर की बायोग्राफी के अनुसार, वह अगस्त, 1914 में जर्मनी की सेना में भर्ती हुआ था। इससे पहले हिटलर ने एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स में दो बार दाखिला लेने की कोशिश की, मगर उसे हर बार खारिज कर दिया गया। पैसे नहीं होने की वजह से उसने शहर के एक बियाबान आश्रय स्थल में पनाह ली। वहां पर हिटलर बरसों तक रहा। माना जाता है कि यहीं पर उसके मन में यहूदियों के खिलाफ नफरत की भावना यानी एंटी सेमेटिज्म घर करने लगी, जो उस वक्त जर्मनी में ऊंचे-ऊंचे पदों पर काबिज थे। जर्मन सेना में शामिल होकर हिटलर वार्साय की संधि से अपमानित जर्मनी का पुराना गौरव लौटाना चाहता था। उसका मानना था कि जर्मन सेना को उसके नागरिकों और मार्क्सवादियों ने धोखा दिया। उसी की अपील पर जर्मन वर्कर्स पार्टी यानी DAP ने अपना नाम तक बदल डाला। दरअसल, DAP के फाउंडर एंटन ड्रेक्सलर को हिटलर का एंटी मार्क्ससिस्ट आइडिया बहुत पसंद आता था। उसने उसे पार्टी जॉइन करने का ऑफर दिया, जिसके बाद हिटलर ने 1919 में DAP जॉइन कर लिया। DAP का नाम बदलकर NSDAP कर दिया गया।

एंटन के मरने के बाद हिटलर ने पार्टी पर कब्जा कर लिया। उसने पार्टी का बैनर खुद डिजाइन किया और लाल झंडे के बीच स्वस्तिक का चिन्ह बना दिया। इसके बाद हिटलर ने कुंठा और अपमान में जी रही जर्मनी की लोगो को हर गली और हर चौराहों पर अपने देशभक्तिपूर्ण और राष्ट्रवादी विचारों के आधार पर प्रेरक भाषण देने शुरू किए। इन भाषणों में हिटलर ने वार्साय की संधि की बखिया उधेड़नी शुरू की। उसके स्पीच इतने जोरदार होते कि लोग ठहरकर उसे सुनते। 8 नवंबर, 1923 को हिटलर ने म्यूनिख में एक सभा की, जिसमें 3000 से ज्यादा लोग शामिल हुए। हिटलर ने एक नई क्रांति की शुरुआत कर दी और एक नई सरकार के गठन का ऐलान कर दिया। उसे पकड़कर जेल में डाल दिया गया। यहीं उसने मीन कैंफ (माई स्ट्रगल) लिखी। इसी किताब में हिटलर ने जर्मनी के समाज का एक नस्ल के आधार पर गठित करने का विचार दिया। इसी दौरान जर्मनी में मंदी की शुरुआत हो गई। देश में महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी ने लोगों की कमर तोड़ दी। इसी का फायदा हिटलर ने उठाया। चुनाव हुए और जर्मन चांसलर बन बैठा।

आपको बता दे की चांसलर बनने के बाद हिटलर ने जर्मनी को युद्ध की ओर ले जाना शुरू किया। इसके साथ ही लीग ऑफ नेशंस से नाता तोड़ने के साथ ही उसने जर्मनी के विस्तारवाद को बढ़ाना शुरू किया। नाजी जर्मनी के दौर में हिटलर ने कुछ अनोखे काम भी किए। उसने शराब और मीट से दूरी बना ली। कभी-कभार डिनर करने के दौरान वह टेबल पर मारे गए पशुओं की ग्राफिक स्टोरी बनवाता था, ताकि लोग नॉनवेज न खाएं। नाजीवाद के विचार के पीछे हिटलर की नस्लीय शुद्धता की सोच थी। उसने यहूदी लोगों और गैर यहूदियों के बीच वैवाहिक संबंधों पर रोक लगा दी। सामूहिक नरसंहार के पीछे भी यही सोच थी, जिसमें यहूदी लोगों को बड़ी-बड़ी आग की भट्ठियों में झोंक दिया जाता। 1939 से लेकर 1945 तक करीब 1.5 करोड़ लोगों को मार डाला था। आपको हम जानकारी दे तो बता दे इनमें 60 लाख तो यहूदी ही थे।

1938 में हिटलर ने यूरोपीय नेताओं के साथ म्यूनिख समझौता किया। और इसी के साथ हिटलर को टाइम मैगजीन ने 1938 को मैन ऑफ द ईयर मानते हुए सम्मानित किया। हालांकि, 1 सितंबर को हिटलर ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया। नतीजतन ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ जंग छेड़ने का ऐलान कर दिया। यहीं से द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हो गई। 1945 तक आते-आते हिटलर को यह अहसास हो गया कि जर्मनी जंग हारने जा रहा है। 29 अप्रैल, 1945 को उसने एक आर्मी बंकर में अपनी गर्लफ्रेंड ईवा ब्राउन से शादी कर ली। इसी दौरान हिटलर को किसी ने बताया कि इटली के तानाशाह बेनितो मुसोलिनी की हत्या कर दी गई है। इससे हताश और जर्मनी की हार निकट होते देख हिटलर और ईवा ने शादी के अगले ही दिनांक 30 अप्रैल, 1945 को खुदकुशी कर ली।

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