Friday, March 28, 2025
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जब T20 जीतने पर पूरे विश्व को हुआ भारत पर नाज़!

हाल ही में भारत ने T20 वर्ल्ड कप जीत लिया है, जिसके बाद पूरे विश्व को भारत पर नाज़ हो गया है! बता दे कि भारत के द्वारा T20 वर्ल्ड कप को साउथ अफ्रीका के जबड़े से खींचकर निकाल लिया गया है! जानकारी के लिए बता दे कि उस एक गेंद के पहले बीती सारी बातें घूम गईं उसकी आंखों के सामने। वे सारे लोग जो उसके साथ खड़े थे और वे भी जो इंतजार कर रहे थे उसकी असफलता का। जीत के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था उसके सामने। भुवन जिस मनोभाव से गुजर रहा था वह आखिरी गेंद फेंके जाने से पहले, कुछ वैसी ही स्थिति रही होगी टीम इंडिया की। पूरा एक दशक, इस दरम्यान के तमाम फाइनल और सेमीफाइनल, एडिलेड-अहमदाबाद – इतिहास फिर से भूत बनकर आकार लेने लगा था। जैसा की भुवन की तरह टीम इंडिया के पास भी बस एक ही चारा था, जीत। फिल्म ‘लगान’ में आमिर खान के कैरेक्टर ने पूरे दम से बैट घुमाया। कैप्टन आंद्रे रसेल के पास मौका था कि वह गेंद लपक कर उस कहानी को वहीं खत्म कर देते। उन्होंने गेंद लपकी, पर अपनी सीमा को भूल गए। बाउंड्री पार कर गए। वही मौका सूर्यकुमार यादव के पास भी आया फील्डिंग करते समय। आखिरी ओवर, दक्षिण अफ्रीका का आखिरी बल्लेबाज, एक आखिरी मौका – सूर्या ने दिखाया कि क्यों SKY की लिमिट नहीं। लेकिन अपनी हद में रहकर। उनका उछलकर गेंद को लपकना, बाउंड्री के पार जाने से पहले गेंद को मैदान की ओर उछाल देना और फिर वापस मैदान में जाकर कैच पूरा करना हर एक लम्हा फ्रेम में मढ़कर रखने लायक है, जैसा कि 1983 विश्व कप में कपिल देव का लिया कैच और 2011 में महेंद्र सिंह धोनी का विनिंग शॉट।

30 गेंदों पर 30 रन, विन प्रिडिक्टर ने भी साथ छोड़ दिया था टीम इंडिया का। इसके साथ ही ग्राफ कह रहा था कि भारत की जीत की उम्मीद चार फीसदी से भी कम है। लेकिन इस टीम के लिए इतनी उम्मीद भी काफी थी वापसी के लिए। पहले भी ऐसी सिचुएशन से आकर मुकाबले जीते गए हैं। दक्षिण अफ्रीका के कप्तान एडन मार्क्रम ने मैच के बाद यही कहकर तो खुद को सांत्वना दी। लेकिन इसी इवेंट में भारतीय खिलाड़ियों ने ऐसा कम से कम दो बार किया – पहले पाकिस्तान के खिलाफ और फिर फाइनल में। जानकारी के अनुसार आखिरी समय तक उम्मीद नही छोड़ी और लड़े बिना हार नहीं मानना – यह केवल टीम इंडिया नहीं बल्कि पूरे इंडिया का कैरेक्टर दिखाता है।

भारत इस जीत का हकदार था, विश्व विजेता कहलाने का हकदार था और केवल इस बार ही नहीं पिछले कई टूर्नामेंट से। वर्ल्ड टाइटल पहले ही आ जाना चाहिए था उसके पास। हालांकि कई बार जो होना चाहिए वह नहीं हो पाता। मेहनत और प्रतिभा होती है, फिर भी कहीं कुछ कमी रह जाती है। शायद किस्मत का थोड़ा-सा साथ, जिसकी कमी बार-बार मुस्कुराने का मौका छीन ले रही थी। लेकिन किस्मत कब तक दगा देती, उसे बहादुरों के साथ आना ही था। खेलों के बाहर, ग्लोबल मंच पर भी भारत को अपना अधिकार बिना लड़े कहां मिला है। कोरोना के दौर में जब दुनिया की अर्थव्यवस्था गिर रही थी, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अनाज की कमी आ खड़ी हुई थी, जब यूरोप पर ईंधन का संकट छाया था – तब हर बार भारत ने अपनी भूमिका निभाई। वे छोटे-छोटे कदम थे, जिन्होंने हिंदुस्तान को ग्लोबल लीडर की श्रेणी में ला खड़ा किया।

भारतीय क्रिकेट में वही आत्मविश्वास दिख रहा है, जो इस देश में है। जैसे-जैसे मुल्क ने अपना रास्ता बदला है, वैसे-वैसे हमारा खेल भी बदलता चला गया। 1991 में देश को अपना सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। वह समय था आर या पार के फैसले का। अब तीन दशक बाद देखिए, भारत दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ती और पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था है। भारतीय केवल अपनी ही नहीं, कई दूसरे देशों की जीडीपी में भी योगदान दे रहे हैं। यही बदलाव आया है इंडियन क्रिकेट में भी। इन तीन दशकों ने भारत को क्रिकेट वर्ल्ड का लीडर बना दिया है। बिग थ्री की बात अब नहीं होती, अब केवल बिग वन है। जिस धमक के साथ हमारे राजनेता वैश्विक मंचों पर खड़े होते हैं, जिस आत्मविश्वास के साथ हमारे युवा मल्टिनैशनल कंपनियों को संभालते हैं, उसी धमक और आत्मविश्वास के साथ टीम इंडिया उतरती है मैदान पर।

जीत के बाद हजार मजबूतियां दिखने लगती हैं। फिर भी जो चीज इस टीम को अलग करती है, वह है क्लैरिटी। BCCI, टीम मैनेजमेंट और टीम – शुरू से आखिर तक इन सभी का रोल बिल्कुल स्पष्ट रहा। खिलाने वालों को पता था कि उन्हें क्या चाहिए और खेलने वालों को पता था कि क्या करना है। दूसरी बड़ी चीज रही भरोसा, ड्रेसिंग रूम में मौजूद हर एक शख्स का एक-दूसरे के ऊपर। जब प्रॉसेस सही हो, तो रिजल्ट की चिंता नहीं रहती और टीम को पता था कि सिलेक्शन प्रॉसेस सही है। उनका मेथड सही है, intention सही है। सभी ने अपने साथियों को बैक किया। खेल का भविष्य फाइनल देख रहे गूगल के CEO सुंदर पिचाई मुश्किल से सांसें ले पाए। वहीं, माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्या नडेला ने अमेरिका और वेस्टइंडीज में ज्यादा क्रिकेट खेलने की अपील की है। नडेला ने अमेरिका की मेजर क्रिकेट लीग (MCL) में पैसा लगाया हुआ है। क्रिकेट का अमेरिकी जमीन पर फलना-फूलना उनके अपने कारोबारी हित में भी है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल भी यही चाहती है। लेकिन यहां भी अमेरिका को भारत की जरूरत पड़ेगी।

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