Friday, March 28, 2025
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क्या सोनाक्षी सिन्हा की शादी को लेकर हो रहा है विवाद ?

वर्तमान में सोनाक्षी सिन्हा की शादी को लेकर विवाद हो रहा है! यहां तक कि उनकी खुद की मां ने उन्हें इंस्टाग्राम पर अनफॉलो कर दिया है! कहीं ना कहीं यह मामला धार्मिक विवाद की ओर बढ़ता जा रहा है! बता दे की बॉलीवुड अदाकारा सोनाक्षी सिन्हा जल्द ही अपने बॉयफ्रेंड जहीर इकबाल के साथ शादी करने वाली हैं। इस बीच यह भी सुनने मे आया कि सोनाक्षी के पिता शत्रुघ्न सिन्हा उनकी शादी को लेकर नाराज हैं। वह किस वजह से नाराज हैं, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, मगर सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं। इसके साथ ही यूजर्स दूसरे धर्म के लड़के से शादी करने जा रहीं सोनाक्षी को लेकर ट्रोल कर रहे हैं। और कुछ दिन पहले ही शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था कि आजकल के बच्चे इन्फॉर्म करते हैं। परमिशन नहीं लेते। अगर सोनाक्षी अपनी पसंद के लड़के से शादी करेंगी तो वह नाराज क्यों होंगे। इस बीच ये भी खबर आई कि शत्रुघ्न सिन्हा अपनी बेटी सोनाक्षी सिन्हा की शादी अटेंड करेंगे या नहीं। इस पर शत्रुघ्न सिन्हा के करीबी पहलाज निहलानी ने कहा है कि बिल्कुल, क्यों नहीं करेंगे। शत्रुघ्न अपनी बेटी सोनाक्षी से ज्यादा समय तक नाराज नहीं हो सकते। वह उनकी लाडली हैं। शादी नहीं अटेंड करने का तो कोई सवाल ही नहीं बनता। पाकिस्तान में मुस्लिम महिला, गैर-मुस्लिम युवक से विवाह नहीं कर सकती है, जब तक कि युवक धर्म ना बदल ले। ज्यादातर मुस्लिम-बहुल देश दूसरे धर्म में शादी को अच्छा नहीं मानते। हालांकि, अगर कोई संबंध रखना ही चाहे, तो मुस्लिम युवकों को थोड़ी छूट मिली हुई है जैसे वे ईसाई या यहूदी लड़की से विवाह कर सकते हैं। तथा मुसलमान लड़कियों को अपने ही धर्म में जुड़ना होता है। वक्त के साथ इस नियम में थोड़ी ढील मिली। कहा गया कि महिलाएं भी गैर-धर्म के पुरुषों से शादी कर सकती हैं अगर दूसरा पक्ष अपना मजहब छोड़ने को राजी हो जाए और इस्लाम कुबूल कर ले।

बांग्लादेश में हनफी मान्यता के अनुसार, मुस्लिम पुरुष अपने मजहब की महिला के अलावा यहूदी या ईसाई महिलाओं से शादी कर सकता है। हालांकि, वहां पर हिंदू महिलाओं से शादी की मनाही है। बांग्लादेश में हिंदू आबादी भी है। ऐसे में अगर हिंदू और मुस्लिम आपस में शादी करते हैं तो ये शादी स्पेशल मैरिज एक्ट, 1872 के तहत ही संभव है। अरब देशों में ट्यूनीशिया ही वह देश है, जिसने अपने यहां की मुस्लिम युवतियों के गैर-मुसलमान युवकों से शादी करने पर पाबंदी नहीं लगाई है। सितंबर, 2017 में इस देश ने कानून बनाकर गैर-मजहब में शादी को हरी झंडी दे दी। इसके बाद तुर्की का नंबर आता है, जहां गैर मजहबी शादी पर पांबंदी नहीं है। इनके अलावा सारे मुस्लिम-बहुल देश ऐसी शादियों को तब तक नहीं मानते, जब तक पुरुष भी इस्लाम न अपना लें।

तुर्की में भी इंटरफेथ शादियां होने लगी हैं. जर्नल ऑफ मुस्लिम माइनोरिटी अफेयर्स के मुताबिक सेकुलर लॉ के तहत मुस्लिम पुरुष किसी गैर मुसलमान और महिला किसी दूसरे धर्म वाले से शादी कर सकती है। इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं है, लेकिन सामाजिक रोड़े अटकते ही रहते हैं। अक्सर लड़कियां छोटी उम्र में ही ब्याह दी जाती हैं, ताकि वे दूसरे धर्म के मनपसंद साथी को न चुन सकें। भारत में जो लोग ज्यादा पढ़े-लिखे हैं और कॉलेज के छात्र-छात्राएं दूसरे धर्म के लोगों से संपर्क बनाने में पीछे नहीं रहती हैं। सर्वे में शामिल कॉलेज पढ़े करीब 63 फीसदी हिंदुओं का कहना था कि अगर उनके पड़ोस में कोई मुस्लिम आ जाए तो उसे स्वीकारने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों में सौहार्द्र ज्यादा देखने को मिलता है। इस्लामी शरिया कानून मानने वाले करीब ऐसे 29 देश हैं, जो दो अलग-अलग धर्म के लोगों के बीच शादी को मान्यता नहीं देते हैं। वहीं, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में भी मुस्लिमों को दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी की मनाही है। ईरान और इराक में ये नियम काफी सख्त हैं और अगर कपल में से एक की धार्मिक मान्यता मुस्लिम न हो, तो उन्हें अलग कर दिया जाता है।

भारत में अंतर धार्मिक शादी के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 है, जो बिना धर्मांतरण के किसी भी दंपती को उसकी जाति या धर्म को देखे बगैर मान्यता देता है। इसके लिए संबंधित जिले में शादी करने वाले जोड़ों को मैरिज ऑफिसर के सामने अपने शादी को लेकर इरादा जताना होता है। उनके इस इरादे को लेकर एक नोटिस चिपकाया जाता है, जिस पर 30 दिन तक इंतजार करना होता है, ताकि ये देखा जा सके कि कोई उनकी शादी को लेकर विरोध तो नहीं जता रहा है। हालांकि, इस कानून में अंतर धार्मिक शादी करने वाले जोड़ों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को लेकर कोई समाधान नहीं बताया गया है। बता दे की दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय यानी सार्क यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में ्प्रोफेसर डॉ. देवनाथ पाठक के अनुसार, भारत बहुलतावादी देश है, जहां हर धर्म के व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की आजादी है। समाज के विकास के साथ उसकी जड़ता भी खत्म होती है और समाज प्रगतिशील होता जाता है।

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