यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भारत का बॉलीवुड वीएफएक्स और महंगी फिल्मों के लिए तैयार है या नहीं! क्योंकि हमने पिछली कई फिल्मों को देखा जिसमें वीएफएक्स का प्रयुक्त किया गया, लेकिन वह हिट नहीं हो पाई, वह सुपरहिट नहीं हो पाई! जिसके कारण कहीं ना कहीं प्रोड्यूसर का मन भी भटकता है, तो रिस्क लेने से भी डरता है! आपकी जानकारी के लिए बता दे कि साल 2015, एसएस राजामौली की ‘बाहुबली: द बिगनिंग’ ने करीब 600 करोड़ रुपए कमाकर फिल्ममेकर्स की आंखें चौड़ी कर दी थीं। फिर उसके सीक्वल ‘बाहुबली: द कन्क्लूजन’ ने तो केवल भारत में ही 1000 करोड़ कमा डाले। ये ऐसे आंकड़े थे, जो भारतीय बॉक्स ऑफिस ने पहले कभी नहीं देखे थे। लिहाजा कई और फिल्ममेकर्स ने भारी-भरकम बजट और वीएफएक्स वाली फिल्में बनाने की घोषणा कर डाली। ‘ब्रह्मास्त्र’, ‘आदिपुरुष’, ‘द इम्मॉर्टल अश्वत्थामा’ उसी सपने की कड़ी थीं, लेकिन महंगे VFX की ये मायावी दुनिया रचने में ज्यादातर के पसीने छूट गए। इसके बावजूद कुछ मेकर्स इस मिशन पर डटे हुए हैं और आने वाले दिनों में ‘कल्कि 2898 AD’, ‘रामायण’ और ‘शक्तिमान’ जैसी कई शानदार VFX वाली फिल्में रचने की कोशिश जारी है। हालांकि अब तक ‘आदिपुरुष’ हो या ‘रामसेतु’, ज्यादातर फिल्में वीएफएक्स के मामले में कमजोर ही साबित हुई हैं। ऐसे में यह बात उठना जरुरी है की बॉलीवुड इस महंगी तकनीक और इसके लिए जरूरी बजट जुटाने के लिए तैयार है? इसके साथ ही ये प्रश्न भी जरूरी है की ये फिल्में ‘बाहुबली’ की तरह कमाल करेंगी या ‘आदिपुरुष’ की तरह किरकिरी करवाएंगी? क्योंकि अकसर मेकर्स अद्भुत विज़न वाली ये फिल्में शुरू तो जोर-शोर से करते हैं, लेकिन महंगे VFX से बढ़ते बजट के चलते बीच में क्वालिटी में समझौता करने पर मजबूर हो जाते हैं। अब तक का रिकॉर्ड देखें तो ‘बाहुबली’ के बाद उस जैसी भव्य विज़ुअल वाली फिल्में रचने का सपना देखने वाले निर्माताओं की राह आसान नहीं रही। वो चाहे ‘ब्रह्मास्त्र’ हो या ‘आदिपुरुष’। अयान मुखर्जी ने हॉलीवुड की तर्ज पर VFX तकनीक से तीन फिल्मों वाली अनूठी फैटेंसी फ्रेंचाइजी गढ़ने का महत्वांकाक्षी सपना तो देख लिया, लेकिन उनके खुद के शब्दों में, ‘जब मैंने फिल्म पर काम शुरू किया, तब पता चला कि हमारे देश में न तो वैसा बजट होता है, न वैसी तकनीक।’ इसीलिए फिल्म के पहले भाग को बनने में ही कई साल लग गए। VFX का काम पूरा ना होने के चलते कई बार रिलीज डेट तक टालनी पड़ी।’ प्रभास की ‘आदिपुरुष’ में भी कमाल के स्पेशल इफेक्ट्स होने की खूब चर्चा थी, पर टीजर आने के बाद उसकी इतनी किरकिरी हुई कि फिल्म की रिलीज टालनी पड़ी। यहां तक कि VFX पर और पैसे खर्च करके सुधारने की बड़ी कोशिश की गई, पर नतीजा सिफर ही रहा।
आपको जानकारी के लिए बता दे की वहीं ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ की सफलता के बाद डायरेक्टर आदित्य धर ने विक्की कौशल के साथ पौराणिक सुपरहीरो फिल्म ‘द इम्मॉर्टल अश्वत्थामा’ बनाने की घोषणा की, मगर उस स्तर के VFX के लिए बजट न जुट पाने के चलते उन्हें इस प्रॉजेक्ट को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। आदित्य ने कहा, ‘मैं जैसे यह फिल्म बनाना चाहता था जिस तरह के विजुअल इफेक्ट्स चाहता था, वो जब तक तकनीक सस्ती नहीं हो जाती, तब तक मुझे इंतजार करना होगा।’ इनके अलावा, ‘कलंक’, ‘रामसेतु’, ‘भुज’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’ जैसी बड़े स्टार्स वाली चर्चित फिल्मों के VFX भी निराशाजनक ही रहे हैं।
ड्यून’, ‘इंसेप्शन’, ‘टेनेट’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों का VFX करने वाली डीएनईजी के सीईओ नमित मल्होत्रा भारत में भी ‘ब्रह्मास्त्र’ और ‘रामायण’ जैसी फिल्मों से विजुअल इफेक्ट्स को नई ऊंचाई देने में जुटे हुए हैं। हॉलीवुड के मुकाबले यहां स्पेशल इफेक्ट्स के उस स्तर पर न पहुंच पाने की वजह पर वह कहते हैं, ‘हॉलीवुड में पिछले 40 सालों से VFX में काम हो रहा है। हमारे यहां पिछले 8-10 सालों में इस ओर थोड़ा ध्यान दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि अगले दस सालों में यहां भी वीएफएक्स का अलग लेवल देखेंगे और यहां इस दिशा में मौके बढ़ेंगे।’
ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा भी नमित की बात से पूरा इत्तेफाक रखते हैं। बकौल कोमल नाहटा, ‘यह सही है कि सीजी बहुत महंगे होते हैं, जिसके लिए बहुत बजट चाहिए। लेकिन ये माइथोलॉजिकल फिल्में बिना कंप्यूटर ग्राफिक्स और विजुअल इफेक्ट्स के नहीं बन सकतीं क्योंकि टीवी पर भी ये कहानियां आ रही हैं। आप फिल्मों-टीवी से कुछ बढ़कर दिखाएंगे, तभी लोग आएंगे। हालांकि, ये भी सही है कि ऐसा करने की सोचते बहुत लोग हैं, एक्जिक्यूट करने वाले बहुत कम हैं क्योंकि बजट बहुत ज्यादा है और हिंदी फिल्मों का मार्केट सीमित है। फिर भी ‘बाहुबली’ ने उस वक्त जो कमाई कर दिखाई, वो किसी ने सोचा नहीं था। तो कहते हैं न कि किस्मत भी हिम्मतवालों का साथ देती है। इसलिए मेकर्स को साहस दिखाना पड़ेगा। जैसे नमित कर रहे हैं, वैसे ही दो-चार ऐसे मेकर्स आएंगे जो सारे नियम तोड़कर बहुत बड़े बजट वाली फिल्में बनाएंगे। इन्हीं में से एकाध फिल्में चमकेंगी और नए रास्ते खोलेंगी।’