अगर वर्तमान की बात की जाए तो यह साफ तौर पर देखा जा रहा है कि बीजेपी को महिलाओं का साथ भरपूर मिल रहा है! बता दे की महिलाएं बीजेपी के लिए पूरी तरह से समर्पित है और वह बीजेपी को ही हमेशा से समर्थन देती आ रही है! जानकारी के लिए बता दे कि लोकसभा चुनाव अपने आखिरी चरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। दो हफ्ते में चुनाव परिणाम भी आ जाएगा। चुनाव के पांच चरण की वोटिंग होते-होते विपक्ष आक्रामक होता दिख रहा है। चुनाव की शांत शुरुआत के बाद अब स्थिति ये है कि इंडिया गठबंधन उत्साह से लबरेज दिख रहा है। राहुल गांधी हों या अखिलेश यादव दोनों ही इंडी गठबंधन की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। अखिलेश यादव तो 80 में से 79 सीटें जीतने के दावे कर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा के उत्साह में भी कोई कमी नहीं दिख रही है। नेता तो वैसे चुनाव प्रचार में जीत के दावे करते ही रहते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो भाजपा की जमीन इतनी भी कमजोर नहीं है, जितना दावा किया जा रहा है। पिछले 10 सालों में भाजपा ने संगठन और सरकार के एकजुट प्रयास से यूपी में हर जाति में पैठ बना ली है। चाहे बसपा का कैडर माना जाने वाला जाटव वोट बैंक हो या सपा का यादव वोट बैंक, सभी में सेंध लग चुकी है। यही नहीं सपा, बसपा, कांग्रेस की राजनीति का रीढ़ माने जाने वाले मुसलमानों को भी भाजपा ने तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर अपनी तरफ करने की कोशिशें जारी रखी हैं। लेकिन सबसे अहम बात ये है कि भाजपा ने इसके समानांतर भी अपना एक बड़ा वोट बैंक खड़ा कर लिया है। ये वोटबैंक जाति और मजहब से परे है। वह है आधी आबादी यानी महिला मतदाता।ये महिला मतदाताओं की ही ताकत है, जिसके दम पर 2014 से भाजपा को दो लोकसभा चुनावों और तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही प्रदेश स्तर के पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में सफलताएं हासिल हुई हैं। इस चुनाव में राहुल-अखिलेश के लिए भाजपा के इसी वीमेन पावर हाउस को अपनी तरफ करना बड़ी चुनौती है। देश में आजादी के बाद से अब तक वोटिंग ट्रेंड को देखें तो जो महिलाएं पहले कभी पुरुषों के मुकाबले कम वोट करती थीं। वह अब कंधे से कंधा मिलाकर सरकारें चुन रही हैं। 2004 के पहले तक महिला और पुरुषों में वोटिंग का अंतर 12 से 14 फीसदी हुआ करता था। लेकिन 21वीं सदी के पहले आम चुनाव में ये अंतर घटकर 9 से 10 फीसदी हो गया। पांच साल बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में अंतर और घटा और अब पुरुषों के मुकाबले सिर्फ 5 से 6 प्रतिशत कम महिला मतदाता वोट कीं। 2014 में ये अंतर 2 फीसदी से भी कम हो गया। और 2019 में महिलाओं ने पुरुषों से बराबरी हासिल कर ली। 2019 के चुनाव में पूरे देश में महिलाओं और पुरुषों का वोट प्रतिशत एक समान 66.8 फीसदी ही रहा।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सीएसडीएस के चुनाव सर्वेक्षण में ये सामने आया कि भाजपा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है। इस चुनाव में पूरे देश के मतदाताओं में 67.01 फीसदी पुरुष, जबकि 67.18 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था। भाजपा का वोटर शेयर 37 फीसदी था, इनमें महिला वोटरों का प्रतिशत 36 फीसदी फीसदी रहा। यही नहीं पूरे यूपी में कुल मतदान प्रतिशत 59.21 फीसदी रहा था। इसमें महिला वोटरों की संख्या 45.89 प्रतिशत यानी 6 करोड़ 70 लाख 55 हजार 997 थी। इनमें से करीब 3 करोड़ 99 लाख 40 हजार 959 यानी 46.16 प्रतिशत महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें भी भाजपा को महिलाओं के करीब 51 फीसदी वोट मिले थे।
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में इस बार मतदाताओं की कुल संख्या 15.29 करोड़ है। इनमें 8.14 करोड़ पुरुष हैं, जबकि 7.15 करोड़ महिला वोटर हैं। इस बार 31.24 लाख नई महिला वोटर यूपी में जोड़ी गई हैं। ऐसे वोटर जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे उनकी कुल संख्या 20.41 लाख है। इनमें 7.28 लाख 18 से 19 साल की लड़कियां हैं।
विधानसभा चुनावों की बात करें तो 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में इंडिया टुडे और एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा को 16 फीसदी महिलाओं ने अधिक वोट किया, जबकि पुरुषों में ये आंकड़ा सिर्फ 4 फीसदी ही रहा। सर्वे में सामने आया कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे कुछ योजनाओं का फैक्टर अहम रहा। बता दे की उज्जवला योजना, शौचालय योजना, पीएम आवास योजना, घर-घर बिजली योजना, किसान सम्मान निधि और मुफ्त राशन योजना प्रमुख हैं। चुनावो की खबरे देखे तो ताजा स्थिति ये है कि पूर्वांचल में आखिरी चरण में 14 सीटों पर मतदान होना है। इनमें लालगंज (सुरक्षित) सीट पर महिला वोटर 52 प्रतिशत से ज्यादा हैं, इसी तरह गाजीपुर में करीब 49 प्रतिशत, जौनपुर में 48, आजमगढ़ और मछलीशहर में 47-47 और बलिया व राबट्र्गंज में 46-46 फीसदी महिला वोटर हैं। भाजपा की रणनीति महिलाओं को लेकर स्पष्ट है। वह तमाम सरकारी योजनाओं के साथ ही तीन तलाक पर प्रतिबंध, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की भी याद दिला रहे हैं। प्रधानमंत्री लगातार लखपति दीदी, ड्रोन दीदी योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं।
2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव और 2023 के मध्य प्रदेश चुनाव के बाद एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट में पोल में पता चला कि भाजपा को अपने विरोधियों की तुलना में कहीं अधिक महिला वोटरों का साथ मिला। भाजपा की तरफ झुकाव वाले परिवारों में 73 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि वे भी भाजपा से जुड़ी हुई थी। कांग्रेस की तरफ झुकाव वाले परिवारों ने केवल 68 फीसदी महिलाओं ने पुरुषों की राजनीतिक प्राथमिकताओं से खुद को जोड़ा, 25 प्रतिशत ऐसी थीं जिन्होंने भाजपा को समर्थन दिया। यही नहीं जिन घरों में वोट को लेकर स्पष्टता नहीं थीं, इन घरों में 48 प्रतिशत महिलाएं भाजपा की तरफ गईं।