यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बीजेपी का एनडीए गठबंधन कभी भी टूट सकता है या नहीं! क्योंकि अगर विपक्षी दलों की बात करें तो विपक्ष का यह साफ तौर पर कहना है कि यह गठबंधन स्थायी नहीं है! जानकारी के लिए बता दें कि एक दशक में ही केंद्र में एक पार्टी की बहुमत वाली सरकार का दौर खत्म हो गया। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री तो बन गए, लेकिन उनकी पार्टी बीजेपी अकेले बहुमत के जादूई आंकड़े से दूर रह गई। 240 सीटों पर सिमटी बीजेपी को केंद्र की सत्ता में लौटने के लिए सहयोगी दलों की मदद लेनी पड़ी जिनके पास 53 सीटें हैं। इस स्थिति से फूली नहीं समा रही कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा दावा कर दिया है। उनका कहना है कि एनडीए के कई साथी दल उनके यानी कांग्रेस पार्टी के संपर्क में हैं। राजनीति की भाषा में संपर्क का मतलब तो समझते ही हैं आप। अगर राहुल गांधी सही हैं तो यह मानने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि मोदी सरकार खतरे में है। राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि संख्याबल की दृष्टि से सत्तारूढ़ एनडीए बहुत कमजोर है और थोड़ी सी गड़बड़ी में ही सरकार धराशायी हो सकती है। राहुल ने बिजनस न्यूजपेपर द फाइनैंशल टाइम्स को दिए इंटरव्यू के दौरान लोकसभा चुनाव परिणामों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘संख्या इतनी कम है कि सरकार बहुत नाजुक है और छोटी सी गड़बड़ी भी इसे गिरा सकती है। मूलतः, एक एनडीए सहयोगी को दूसरी तरफ मुड़ना होगा।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि एनडीए के कुछ सहयोगी ‘हमारे संपर्क में हैं।’ लेकिन कौन? राहुल ने किसी का नाम तो नहीं बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि मोदी खेमे में बहुत गहरी ‘असहमति’ है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि ‘भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है’। उन्होंने दावा किया कि ‘मोदी के विचार और छवि को बड़ा झटका लगा है’। उन्होंने तर्क दिया कि मोदी के नेतृत्व वाली तीसरी एनडीए सरकार ‘संघर्ष करेगी क्योंकि 2014 और 2019 में जो बातें नरेंद्र मोदी के पक्ष में थीं, वो इस बार नदारद हैं’। परिणामों के बारे में गांधी ने कहा, ‘यह सोच कि आप नफरत और गुस्से की राजनीति से लाभ उठा सकते हैं, भारत के लोगों ने इस चुनाव में इसे स्वीकार नही किया है… जिस पार्टी ने पिछले 10 साल अयोध्या के बारे में बात करने में बिताए, उसका अयोध्या में सफाया हो गया है… मूल रूप से यह हुआ कि धार्मिक नफरत पैदा करने का भाजपा का मूल ढांचा ध्वस्त हो गया है’।
राहुल गांधी ने इस बार विपक्ष के प्रदर्शन में सुधार के लिए अपनी दो भारत जोड़ो यात्राओं को भी श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘न्यायिक प्रणाली, मीडिया, संवैधानिक संस्थाएं सभी (विपक्ष के लिए) के बंद थे। तब हमने फैसला किया कि हमें अपने दम पर ही लड़ना होगा। हमारे खिलाफ जो दीवार खड़ी की गई, इस चुनाव में सफल होने वाले बहुत से विचार उसी से आए थे।’ बहरहाल, राहुल गांधी के ‘हमारे संपर्क में हैं’ वाले दावे की पड़ताल करें तो एनडीए को कम से कम 21 सांसदों से झटका मिलेगा, तभी मोदी सरकार गिर सकती है। बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा चाहिए। इनमें अकेले बीजेपी के पास 240 सीटें हैं। इसलिए बीजेपी को सरकार बचाने के लिए सहयोगी दलों से सिर्फ 32 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। अभी सहयोगी दलों के पास 53 सांसद हैं।
इनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के 14 और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 12 सांसद हैं। अगर ये दोनों एक साथ एनडीए से निकल जाएं तो कुल 26 सांसद घट जाएंगे। यानी सरकार गिराने के लिए जरूरी 21 के आंकड़े से पांच ज्यादा। लेकिन क्या नायडू और नीतीश, मोदी को झटका दे सकते हैं? बता दे की राजनीति में कुछ भी हो सकता है। इसके साथ राहुल गाँधी के दावे की परीक्षा तब तक होती रहेगी जब तक ऐसा कुछ हो नहीं जाता।