Friday, March 28, 2025
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क्या प्रदूषण से बढ़ सकता है डायबिटीज टाइप 2 का खतरा?

वर्तमान में प्रदूषण से डायबिटीज टाइप 2 का खतरा बढ़ सकता है! जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान में हवा जहरीली होती जा रही है, जिसकी वजह से शारीरिक बीमारियों का सिलसिला बढ़ चुका है! इसी बीच डॉक्टर ने भी काफी सारे बयान दिए हैं जो चिंता का विषय बने हुए हैं! जानकारी के लिए बता दें कि वातावरण में मौजूद जहरीली हवा से अब आपको टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी है। पहले दूषित कण फेफड़े, हार्ट स्ट्रोक और कैंसर के कारक थे, लेकिन हालिया अध्ययनों से पता चल रहा है कि प्रदूषण का सीधा संबंध शुगर से भी है। अमेरिका, यूरोप और चीन में भी इस बारे में अध्ययन हो चुके हैं। भारत में भी दो शहरों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि हवा में जितना ज्यादा पीएम2.5 होता है, खून में शुगर का लेवल भी उतना ही बढ़ जाता है। हम जानते हैं कि PM2.5 एक इंडोक्राइन डिसरेप्टर है जो इंसुलिन के स्राव को प्रभावित करता है और इंसुलिन प्रतिरोध की ओर भी ले जाता है। हालांकि गर्मियों के कारण हाल के हफ्तों में हवा की गुणवत्ता ठीक रही है, लेकिन वायु प्रदूषण शहरी भारत में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर उभर रहा है। अनुमान है कि हर साल मुंबई में वायु प्रदूषण से लगभग 20,000 और दिल्ली में 50,000 लोग इसके चलते काल के गाल में समा जाते हैं।

बता दे कि कुछ महीने पहले, डॉ. ने पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर देश का पहला अध्ययन प्रकाशित किया था, जो पीएम2.5 और डायबिटीज के कनेक्शन को मापता है। ‘बीएमजे ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर’ में प्रकाशित इस अध्ययन में कम अवधि, मध्यम अवधि और लंबी अवधि के पीएम2.5 के संपर्क को डायबिटीज से जोड़ने वाले सबूत मिले। अध्ययन में बताया गया है कि हर महीने की औसत हवा में पीएम2.5 की मात्रा में 10 ग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि से फिंगर प्रिक ब्लड टेस्ट में 0.4 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर की वृद्धि और HbA1c टेस्ट में 0.021 यूनिट की वृद्धि देखी गई। HbA1c एक रक्त परीक्षण है जो तीन महीने की अवधि में रक्त शर्करा के स्तर को बताता है।

इस अध्ययन के लिए आपको बता दे की दिल्ली और चेन्नई में रहने वाले 12,064 वयस्कों पर सात साल तक शोध किया गया। अध्ययन में हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए दो तरीके अपनाए गए – एक तो सैटेलाइट के जरिए जानकारी ली गई और दूसरा जमीन पर लगे मॉनिटरों से जानकारी मिली, साथ ही, प्रतिभागियों के ब्लड शुगर लेवल की भी जांच की गई। अध्ययन में पाया गया कि हवा में हर साल औसतन पीएम2.5 की मात्रा में 10 ग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि के साथ टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 22 प्रतिशत बढ़ जाता है। दिल्ली के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अनूप मिश्रा का कहना है कि वायु के प्रदूषण और शरीर की डायबिटीज के बीच संबंध पहले से ही पता है। यह अध्ययन भारत के दो शहरों के लिए इस बात को फिर से दोहराता है, लेकिन यह पूरे भारत पर लागू नहीं हो सकता है। डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण शरीर में अतिरिक्त चर्बी होता है, इसलिए भविष्य के अध्ययनों में इसको भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि परिणाम और मजबूत हों।

वायु प्रदूषण भारत में मधुमेह की महामारी में योगदान करने वाले कई कारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत को मधुमेह की राजधानी के रूप में जाना जाता है। डॉ. तिवारी ने आगे कहा कि मिट्टी प्रदूषण, जानवरों को दी जाने वाली दवाएं, खराब स्वच्छता जैसी चीजें भी हैं जो अंतःस्रावी व्यवधान के रूप में योगदान देती हैं। मुंबई में सब्जियां खराब परिस्थितियों में उगाई जाती हैं और बड़े पैमाने पर बेची जाती हैं। मधुमेह जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों के लिए, हमें पूरी तस्वीर देखनी होगी।

जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न में गड़बड़ी पैदा करता है, जिससे बीमारी के पैटर्न में भी बदलाव आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हवा, पानी और वाहनों से होने वाला प्रदूषण इसे और खराब कर देता है। डॉ. मोहन के अनुसार, डायबिटीज और पीएम2.5 के बीच संबंध की एक सकारात्मक बात यह है कि वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है। यह एक बचाव योग्य कारण है। JAPI के लेख में कहा गया है कि हम जानते हैं कि वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से कुछ हैं – किसानों द्वारा पराली जलाना, वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक प्रदूषण, खराब हवा वाली रसोइयों में जलाऊ लकड़ी या कोयले का उपयोग, या दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान आतिशबाजी के कारण होने वाला प्रदूषण। इन सभी को सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कानून और शिक्षा के माध्यम से बदला जा सकता है।

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