हाल ही में नेपाल ने चीन के आगे घुटने टेक दिए हैं! एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के चलते नेपाल को चीन की माननी ही पड़ी! जानकारी के लिए बता दे कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से अब तक किनारा करने वाला नेपाल आज बड़ा कदम उठाने जा रहा है। नेपाल और चीन के बीच आज 16वें दौर की बातचीत होने जा रही है और इसमें बीआरआई को लागू करने के प्लान को मंजूरी मिल सकती है। नेपाल और चीन के बीच साल 2017 में बीआरआई समझौता हुआ था लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है। चीन के लगातार दबाव डालने के बाद अब नेपाल इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ने जा रहा है। बता दे की चीन और नेपाल के बीच में अगर समझौता होता है तो इससे बीआरआई के प्रॉजेक्ट के सेलेक्शन, क्रियान्वयन और फंडिंग के तरीकों का सीधा रास्ता हो जाएगा। बीआरआई को दुनिया में चीन के कर्जजाल के रूप में देखा जाता है। श्रीलंका, पाकिस्तान तथा मालदीव के बाद अब भारत का एक और पड़ोसी नेपाल इसमें फंसने की ओर बढ़ता दिख रहा है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइडोंग सोमवार को काठमांडू पहुंच गए और उन्होंने पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की है। नेपाली पीएम के कार्यालय के अनुसार चीन ने बीआरआई के क्रियान्वयन को लेकर कम से कम एक समझौते के लिए प्रस्ताव दिया है। बाद में दोनों देशों के बीच बीआरआई को लेकर एक पूर्ण समझौता होगा। नेपाली विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रचंड की चीनी मंत्री के साथ मुलाकात के बाद कहा कि इस बात की पूरी आशा है कि मंगलवार को बीआरआई को लागू करने के प्लान पर एक समझौता होगा।
नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय के पास इसको मंजूर करने के लिए फाइल पहुंच गई है। नेपाल और चीन के बीच साल 2017 में बीआरआई समझौता हुआ था। चीन ने साल 2020 में बीआरआई को लागू करने के लिए प्रस्ताव दिया था। नेपाल ने चीन के कर्जजाल के खतरे को देखते हुए इसे 4 साल तक टाले रखा था लेकिन अब वह इसे लागू करने जा रहा है। इस बैठक के दौरान द्विपक्षीय समझौतों की भी समीक्षा होगी। चीन के बंदरगाहों से नेपाल को सामान मंगाने की सुविधा पर भी बातचीत होगी। इसको लेकर केपी ओली ने समझौता किया था ताकि भारत पर से निर्भरता को कम किया जा सके।
नेपाल के भारी दबाव के बाद अब चीन पोखरा और भैरवा इंटरनैशनल एयरपोर्ट को लेकर वार्ता करने को तैयार हुआ है। इसके साथ ही इन दोनों ही एयरपोर्ट को चीन ने बनाया है लेकिन अभी तक ये सफेद हाथ साबित हुए हैं। इन दोनों ही जगहों पर कोई भी विदेशी फ्लाइट नहीं आ रही है। नेपाल ने कई बार चीन से गुहार लगाई है कि वह इसको लेकर बातचीत करे लेकिन बार-बार बीजिंग से उसे निराशा हाथ लगी है। नेपाल चाहता है कि चीन भारत की तरह से ही सचिव स्तर का एक तंत्र बनाए लेकिन इसके लिए चीन तैयार नहीं हो रहा है। चीन के साथ नेपाल सीमा विवाद का भी मुद्दा उठाने जा रहा है। नेपाल में बीआरआई का शुरू होना भारत के लिए खतरे का संकेत है। जिससे नेपाल में चीन का प्रभाव और बढ़ जाएगा। जैसा की प्रचंड के चीन समर्थक ओली से हाथ मिलाने के बाद नेपाल में ड्रैगन का दखल लगातार बढ़ रहा है।