वर्तमान में नेपाल चीन के जाल में पूरी तरह फस चुका है! दरअसल, वहां के प्रधानमंत्री अगर चीन के गुलाम निकले, तो नेपाल का बर्बाद होना तय हैं! जानकारी के लिए बता दे कि नेपाल के पलटूराम केपी शर्मा ओली ने देश के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को समर्थन देने के 4 महीने बाद ही अपना समर्थन वापस लेने जा रहे हैं। केपी ओली की पार्टी सीपीएन यूएमएल अब नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और केपी ओली के बीच मुलाकात हुई है और दोनों दलों के बीच नए गठबंधन के लिए रूपरेखा तय की गई। इस सहमति के तहत चीन के बेहद करीबी ओली नए गठबंधन के पीएम बनेंगे। इस बीच शेर बहादुर देउबा ने साफ कर दिया है कि चीन के साथ बीआरआई समझौते में कर्ज का वह समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि नेपाल को चीन से ग्रांट चाहिए न कि लोन।भारत समर्थक पार्टी नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता प्रकाश सरन महत ने कहा कि पार्टी की बैठक के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि नेपाल को चीन से बीआरआई प्रॉजेक्ट को क्रियान्वित करने के लिए केवल ग्रांट लेना चाहिए न कि लोन। इससे पहले नेपाल और चीन के बीच 16वें दौर की बातचीत हुई थी और दोनों पक्षों ने यह फैसला किया था कि बीआरआई को लागू किया जाए। हालांकि नेपाल और चीन के बीच आखिरी मौके पर प्रॉजेक्ट के वित्त पोषण को लेकर सहमति नहीं बन पाई।
चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग नेपाल आए थे ताकि इस समझौते को आखिरी रूप दिया जा सके लेकिन उन्हें भी खाली हाथ लौटना पड़ा। नेपाली कांग्रेस हमेशा से ही बीआरआई प्रॉजेक्ट को लागू करने के लिए ग्रांट का ही समर्थन किया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मार्च 2022 में नेपाल यात्रा के दौरान तत्कालीन पीएम देउबा ने साफ तौर पर कह दिया था कि नेपाल बीआआई प्रॉजेक्ट को लोन लेकर पूरा नहीं करेगा। हालांकि शनिवार को देउबा और ओली के बीच मुलाकात में बीआरआई की फंडिंग की शर्तों पर बातचीत हुई है।
नेपाली कांग्रेस संसद में सबसे बड़ी पार्टी है। देउबा के एक करीबी ने दावा किया कि नेपाली कांग्रेस के प्रेसिडेंट ने प्रस्ताव दिया है कि पहले चरण में ओली को पीएम बनाया जाए और दोनों ही पार्टियां नई सरकार के लिए सहयोग करेंगी। उन्होंने कहा कि अभी देउबा पीएम बनने के मूड में नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में ओली अब नई सरकार को नेतृत्व करेंगे। जैसा की चीन बहुत बार नेपाल पर दबाव डाल रहा है कि वह बीआरआई को लागू करे। इसके साथ ही बीआरआई श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान और कई अफ्रीकी देशों के लिए कर्ज का जाल बन गया है। श्रीलंका तो डिफॉल्ट हो गया।