आज हम आपको बताएंगे कि किस सहयोगी दल को कौन सी मिनिस्ट्री मिली है! दरअसल, मंत्रालयों का वितरण हो चुका है और अब सभी पार्टियों को उनकी मिनिस्ट्री मिल चुकी है! बता दें कि केंद्र में सत्ताधारी एनडीए के संसदीय दल की दिल्ली में बैठक हुई। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई इस बैठक में नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना गया। इसके बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए नेता राष्ट्रपति भवन पहुंचे और सरकार बनाने का दावा पेश किया। माना जा रहा कि 9 जून को नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है। बता दे की इस सियासी घटनाक्रम के बीच नए सरकार में किसे-कौन सा मंत्रालय मिलेगा इस पर भी माथापच्ची का समय जारी है। मीडिया की रिपोर्ट् के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी नई सरकार में 6 ऐसे मंत्रालय हैं जिन्हें अपने पास रखना चाहेगी। गृह, रक्षा और वित्त जैसे मंत्रालय बीजेपी के ही पास रहने के आसार हैं। हालांकि, टीडीपी-जेडीयू की ओर से भी पोर्टफोलियो को लेकर मजबूत डिमांड हो रही। निर्वाचन आयोग तेजी से 18वीं लोकसभा के नए सदस्यों के सर्टिफिकेट तैयार कर बाकी प्रक्रिया के काम पूरे कर रहा है। चुनाव आयोग राष्ट्रपति को इस बारे में जानकारी देगा और उसके बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया बढ़ेगी। नई सरकार में टीडीपी की ओर से 4 मंत्रालयों की डिमांड किए जाने की चर्चा है। वहीं जेडीयू भी तीन मंत्रालय पर दावा ठोक रहा। दूसरी ओर चिराग पासवान दो मंत्री पद मांग रहे हैं। एनडीए में शामिल सभी सियासी पार्टियों ने मंत्रालयों को लेकर दावेदारी कर दी है। हालांकि मंत्रिपरिषद और अन्य पदों को लेकर बीजेपी दिग्गजों के NDA सहयोगियों के साथ बातचीत चल रही है।
जानकारी के मुताबिक, 16 सदस्यों वाली टीडीपी को तीन कैबिनेट पद और एक राज्यमंत्री स्तर के पद दिए जा सकते हैं। 12 सीटें जीतने वाली जेडीयू को 2 कैबिनेट और दो राज्यमंत्री स्तर के पद मिल सकते हैं। इसी तरह 7 सदस्यों वाली शिंदे गुट शिवसेना, 5 सदस्यों की एलजेपी को लेकर भी मंत्रियों पद को लेकर फैसला हो सकता है। ये तय माना जा रहा कि बीजेपी गृह, वित्त, रक्षा, विदेश मंत्रालय के अलावा सड़क परिवहन, रेलवे मिनिस्ट्री अपने पास रखना चाहती है। वहीं शहरी विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, कृषि मंत्रालय जैसे विभागों पर टीडीपी और जेडीयू को दिए जाने की चर्चा है। अब देखने की बात है कि इस चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरी इन दोनों पार्टियों को क्या मिलता है? चर्चा ये भी है कि कई पिछले मंत्रालयों के नाम बदले जाने या उनका विभाजन किए जाने की भी संभावनाएं हैं। इसके अलावा टीडीपी की ओर से लोकसभा अध्यक्ष पद की भी डिमांड हो रही, हालांकि, कहा जा रहा बीजेपी इसके लिए राजी नहीं है। वो टीडीपी को लोकसभा में उपसभापति का पद दे सकती है। फिलहाल सूत्र कह रहे हैं कि मंत्री बनाना और विभाग बांटना पीएम का विशेषाधिकार होता है। इसलिए तस्वीर शपथ के बाद ही साफ होगी।
बता दे कि चुनाव नतीजों में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए में प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों की डिमांड रख दी है। उधर मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार अपने सहयोगियों को अहम मंत्रालय आसानी से नहीं देना चाहेगा। टीडीपी और जेडीयू जिनके पास क्रमशः लोकसभा की 16 और 12 सीटें हैं, सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अपने पसंदीदा मंत्रालयों की डिमांड बीजेपी आलाकमान के सामने रख दी है। यही नहीं उनकी निगाहें अपने पसंदीदा मंत्रालयों पर बनी हुई है। शुरुआती चर्चा के आधार पर सहयोगी दल हर चार सांसदों पर एक मंत्री की मांग कर रहे हैं।
कथित तौर पर, टीडीपी चार कैबिनेट पदों की मांग कर रही है, जबकि जेडीयू तीन मंत्रियों की मांग कर रही है। इसके अतिरिक्त, 7 सीटों के साथ एकनाथ शिंदे की शिवसेना और पांच सीटों के साथ चिराग पासवान की एलजेपी को दो-दो मंत्रालय मिलने की उम्मीद है। चंद्रबाबू नायडू भी लोकसभा अध्यक्ष पद पर नजर गड़ाए हुए हैं, लेकिन बीजेपी इस मांग को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रही है। टीडीपी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी मांग कर सकती है।