Friday, March 28, 2025
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आखिर झुलस्ती गर्मी में कम खर्चे में कैसे पाए ठंडक?

आज हम आपको बताएंगे कि झुलस्ती गर्मी में कम खर्चे में ठंडक कैसे पाए जा सकती है! वर्तमान में गर्मी बढ़ती जा रही है, ऐसे में AC और कलर का खर्च बढ़ता ही जा रहा है! जानकारी के लिए बता दे कि गर्मी तो ऐसी है कि सहन ही नहीं होती। ना पंखे में सुकून था और ना कूलर में। दिन में घर के दरवाजे पर लगे पर्दों को गीला रखते थे, लेकिन फिर भी राहत नहीं। रात में छत पर पानी छिड़कते थे लेकिन गर्मी पर कोई असर नहीं पड़ता था। हम तो दिन में काम पर चले जाते थे, पर मां पूरे दिन घर पर ही रहती थी और उन्हें इस गर्मी को सहन करना पड़ता था। लेकिन अब, बहुत राहत मिल गई है। अब पहले के मुकाबले बहुत राहत है।’ ये कहानी है गुजरात में अहमदाबाद के इग्नास पार्क झुग्गी इलाके में रहने वाली राधा की। जब दिल्ली सहित उत्तर भारत के राज्य भीषण गर्मी झेल रहे हैं, तो राधा का घर सामान्य से करीब 5-6 डिग्री कम रहकर उनके परिवार को राहत दे रहा है। जैसा की राधा की जिंदगी में इस बदलाव की शुरुआत करीब 1 महीने पहले हुई। गर्मी की वजह से जहां इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों का जीना मुश्किल था, वहीं कूलर और पंखे ज्यादा उपयोग करने से बिजली का बिल भी काफी ज्यादा आ रहा था। एक तरह से इन लोगों पर दोहरी मार पड़ रही थी। ऐसे में एक दिन इन झुग्गियों में महिला हाउसिंग ट्रस्ट नाम के एक संगठन की टीम पहुंची। इस टीम ने जब लोगों से बात की, तो गर्मी से निजात पाने का तुरंत एक आसान तरीका बता दिया। इसके बाद तैयारी शुरू हुई और महज कुछ घंटों के भीतर मिशन को अंजाम दे दिया गया।

 बता दे की महिला हाउसिंग ट्रस्ट ने झुग्गी-झोपड़ियों की गर्मी की समस्या का एक आसान समाधान निकाला। इसके साथ ही टीम ने सभी घरों की छतों पर सोलर रिफ्लेक्टिव व्हाइट पेंट कराया। नतीजा ये हुआ कि छत पर इस पेंट के होने से घर के अंदर का वातावरण पहले के मुकाबले ठंडा हो गया। ‘द बेटर इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, राधा बताती हैं कि जब ये टीम उनके पास आई और इस बारे में बताया तो सभी लोगों को लगा कि ये तो बहुत आसान है और सभी लोग इसके लिए तैयार हो गए। इसके बाद घर के अंदर के तापमान में करीब 5-6 डिग्री की गिरावट महसूस हुई। पहले जहां ये सारी झुग्गिया दिन में तपती थीं, अब उनमें एक ठंडक महसूस होती है।

महिला हाउसिंग ट्रस्ट की प्रोग्राम मैनेजर भावना महेरिया ने इस बारे में बात करते हुए बताया, ‘गर्मी हो या सर्दी, जिंदगी जीने के लिए काम तो करना पड़ता है। भले ही घर के बाहर का तापमान 50 डिग्री हो या सरकार गर्मी को लेकर चेतावनी जारी करे, लेकिन रोजी-रोटी के लिए बाहर तो जाना ही होगा। इसीलिए, हमारी पहली प्राथमिकता जितना हो सके, गर्मी से राहत दिलाना है। जब गर्मी बहुत ज्यादा होती है, तो कमरे भी गर्म हो जाते हैं। सही वेंटिलेशन ना हो तो बाहर के मुकाबले कमरों में ज्यादा गर्मी लगती है। ऐसे में ये तरीका लोगों को गर्मी से राहत देता है।’

भावना महेरिया के मुताबिक इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2016 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उस वक्त हुई, जब उनका ट्रस्ट गर्मी कम करने के सस्ते और नए तरीकों के बारे में सोच रहा था। बहुत से लोगों ने बिजली के बिल ज्यादा आने की शिकायत की। तथा महिला हाउसिंग ट्रस्ट की टीम ने इन लोगों के घरों में जाकर देखा तो पता चला कि वहां 100 वाट के बल्ब इस्तेमाल किए जा रहे थे। इसके अलावा घरों में ठीक से वेंटिलेशन नहीं था। एक ही कमरे में रसोई के होने से भी गर्मी ज्यादा लगती थी। गर्मी से बचने के लिए लोग पूरे दिन पंखे और कूलर चलाते थे, जिससे बिल बढ़ जाता था। ऐसे में बल्ब बदलने से कुछ नहीं होने वाला था, बल्कि जरूरत एक स्थाई समाधान की थी।

2016 में ट्रस्ट ने छत पर सफेद रंग का पेंट शुरू किया। इस पेंट से घर के अंदर का तापमान करीब-करीब पांच-छह डिग्री कम हो गया। इसे कूल रूफ तकनीक के नाम से पुकारा जाता है। इस प्रोजेक्ट का सबसे अच्छा पहलू ये था कि छतों पर पेंट करने का तरीका बेहद आसान था। महिलाएं भी आसानी से अपने घरों की छत पर ये पेंट कर सकती थीं। झुग्गीवासियों के लिए पेंट ट्रस्ट की तरफ से उपलब्ध कराया गया। मौजूदा वक्त में अहमदाबाद की 20 हजार से ज्यादा झुग्गी-झोपड़ियां ट्रस्ट की इस तरकीब का फायदा उठा रही हैं।

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