Friday, March 28, 2025
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आखिर क्या है गैंडास बुजुर्ग आत्मदाह मामला?

आज हम आपको गैंडास बुजुर्ग आत्मदाह मामला बताने जा रहे हैं! जिसमें एक व्यक्ति ने अवैध कब्जा होने पर फेसबुक पर लाइव आकर खुद को मौत के हवाले कर दिया! जानकारी के लिए बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ लखनऊ ने बलरामपुर जिले से जुड़े दो मामलों पर फैसला सुनाया था, जिसकी बलरामपुर में आजकल बेहद चर्चा है। यह दोनों फैसले एक ही मामले से जुड़े हुए हैं। एक रिट पेटीशन में कुसुमा देवी नाम की महिला वादिनी है, तो दूसरे रिट में जिस थाने में यह घटना घटित हुई थी, उसके तत्कालीन एसओ वादी है। करीब सात महीने पहले घटित हुए इस मामले में न्याय के लिए वादिनी कुसुमा महीनों भटकती रही, लेकिन उन्हें न्याय की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट से उन्हें न्याय की उम्मीद जगी। वहीं, दूसरी तरफ जिले के कलेक्टर अरविंद कुमार सिंह ने महिला को न्याय दिलवाने के लिए एक कदम आगे बढ़ते हुए मामले में मजिस्ट्रेटियल जांच की अनुशंसा की और उसी जांच के आधार पर आरोपी पुलिसकर्मियों पर करवाई करने का मजिस्ट्रेटियल आदेश अपनी सांविधिक शक्तियों के तहत जारी किया।जैसा की खंडपीठ लखनऊ ने दो आदेशों को पारित किया है। एक आदेश के जरिए निलंबित आरोपी एसओ को उसका रुका वेतन मिलेगा, तो दूसरे आदेश के जरिए इस मामले में जांच करने के लिए SIT का गठन किया जाएगा और पूरी जांच हाई कोर्ट की निगरानी में होगी। इसके बाद इस मामले को लेकर जिले का माहौल गर्म दिखाई दे रहा है। तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

बता दे मामला बलरामपुर जिले के गैंडास बुजुर्ग थाना क्षेत्र से है। पास के धोबहा गांव के रहने वाले दलित समाज से आने वाले राम बुझारत और उनके परिजनों के दावे वाली निर्माणाधीन थाने के पास कुछ जमीन थी। उक्त जमीन का मामला सिविल कोर्ट में विचाराधीन था। 23/10/2023 को जब थाने के गेट से सटे प्लॉट पर निर्माण के लिए पिलर खुदवाया जाने लगा, तो राम बुझारत ने इस अवैध निर्माण को रोकने के लिए तत्काल एक एप्लीकेशन थानाध्यक्ष को दिया। उस दिन महानवमी का त्योहार मनाया जा रहा था। उसके एक दिन बाद दशहरे के दिन यानी की 24/10/23 को जब पुलिसकर्मियों द्वारा तमाम लोगों की मिलीभगत के साथ थाने के निर्माणाधीन भवन से सटी जमीन पर पिलर खड़ा कर दिया गया। इससे आहत राम बुझारत ने फेसबुक लाइव करते हुए आत्मदाह का प्रयास किया।

उसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस के हाथ-पांव फूलने शुरू हुए। आनन-फानन में स्थानीय लोगों और उसके परिजनों द्वारा राम बुझारत को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे जिला अस्पताल, फिर उसके बाद लखनऊ के केजीएमयू मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिए रेफर कर दिया गया। 6 दिनों तक राम बुझारत जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ता रहा। आखिरकार वह यह जंग हार गया। इसके बाद जांच पड़ताल और मान-मनौवल का दौर शुरू हुआ। खैर, प्रशासन द्वारा समझाने-बुझाने के बाद राम बुझारत के परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार करवा दिया, लेकिन जमीन के एक टुकड़े के लिए आत्मदाह करने वाले राम बुझारत, उसकी पत्नी और बच्चों को न्याय नहीं मिल सका। धीरे-धीरे पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा न्याय की उम्मीद भी मरने लगी।

आखिरकार, राम बुझारत की पत्नी कुसुमा देवी ने CRPC की धारा 156/3 के तहत न्यायालय में एक वाद दायर कर उक्त मामले में एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की। जिला न्यायालय द्वारा मामले में राजस्वकर्मियों और अन्य के खिलाफ तो एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन पुलिस कर्मियों पर पता नहीं किस रिपोर्ट आधार पर FIR नहीं दर्ज हुई। थानाध्यक्ष, लेखपाल और गांव के कुछ लोगों पर गंभीर आरोप लगे थे। आरोप था कि निर्माणाधीन थाना भवन के बाहर विवादित भूमि पर पुलिस संरक्षण में हुए पिलर का निर्माण देखकर राम बुझारत नहीं सहन कर पाया। पुलिस की दबंगई से उसे अपनी पुश्तैनी जमीन अवैध रूप से कब्जा होकर उसके हाथ से चले जाने का डर उसके मन में बैठ गया था। इसी से आहत होकर राम बुझारत ने आत्मदाह का रास्ता चुना। इस मामले में डीएम अरविंद सिंह के निर्देश पर अपर जिला अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह और अपर पुलिस अधीक्षक नम्रता श्रीवास्तव मजिस्ट्रेट जांच की अनुशंसा पर थानाध्यक्ष के साथ ही कार्यदायी संस्था से जुड़े अधिकारियों और पीड़ितों का बयान दर्ज हुए थे। बताया जाता है कि अपर पुलिस अधीक्षक नम्रता श्रीवास्तव ने अपनी प्रारंभिक जांच में थाने के प्रभारी पवन कुमार कन्नौजिया को दोषी माना था। बताया जाता है कि उन्हीं की अनुशंसा पर निलंबन की कार्रवाई की गई।

कार्यदायी संस्था और पुलिस ने मिली भगत से ऐसे समय को निर्माण के लिए चुना, जब छुट्टी हो। शनिवार, रविवार को अवकाश था। राम बुझारत ने सोमवार को थाना गैंडास बुजुर्ग पर इस बाबत शिकायती पत्र दिया और उसके दूसरे दिन दशहरे का त्योहार था। थाने पर उसे करीब 3 घंटे तक बिठाए रखा गया। उसके बाद जब तमाम लोगों ने हस्तक्षेप किया तो उसे छोड़ा गया, लेकिन उससे कहा गया कि उक्त जमीन को पाने के लिए उसे कोर्ट से स्टे आर्डर लाना होगा। गौरतलब है कि 4 दिन छुट्टी होने के करण राम बुझारत को किसी तरह स्टे नहीं मिल सकता था। निर्माणाधीन थाने की जमीन के गेट के पास हो रहे इस अवैध निर्माण का मकसद दिया था कि छुट्टी के दिनों में राम बुझारत की पड़ी हुई जमीन पर अवैध रूप से पहले कब्जा कर लिया जाएगा। फिर आने वाले समय में कमर्शियल जमीन को महंगे दामों में बेच दिया जाएगा, लेकिन राम बुझारत को जब स्थानीय थाने के स्तर से न्याय मिलता नहीं दिखाई दिया तो उसने आत्मदाह का प्रयास किया। इस घटना में वह लगभग 60% झुलस गया था। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था।

निर्माणाधीन थाना गैंडास बुजुर्ग के गेट पर सटा प्लॉट बेहद महंगा बताया जाता है, क्योंकि उसकी व्यावसायिक उपयोगिता है। जिस प्लॉट के टुकड़े के लिए राम बुझारत ने आत्महत्या की, उस पर उसके परिवार के लोगों का कई सालों से सिविल कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। उक्त मामले में कोर्ट ने जमीन के लिए एक कमीशन रिपोर्ट का आदेश भी कर दिया था।कोर्ट कमीशन 02/09/23 को हो जाने के कारण स्थानीय तहसील स्तर पर यह मामला किसी तरह से भी आदेश के कैटगरी में नहीं आ सकता था। राम बुझारत ने जिस दिन उसके दावे वाली जमीन पर कब्जा हो रहा था, उस दिन भी उसने थानाध्यक्ष से न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। वहीं, राम बुझारत और जमुना ने 23/10/23 को दिए अपने प्रार्थना पत्र में यह बात बताई। इसके साथ ही यह स्वीकार किया कि सिविल कोर्ट से निर्णय हो जाने के बाद जमीन जिसके भी हक में आएगा, उसके लिए वह फैसला स्वीकार होगा।

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