आज हम आपको बताएंगे कि देश में किन इलाकों में गर्मी ने अर्धशतक लगा दिया है! बता दे की गर्मी का मौसम लगातार बढ़ता ही जा रहा है! जिसकी वजह से हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं, बीमारी बढ़ती जा रही है! जो खतरा पैदा करती है! जानकारी के लिए बता दे कि दिल्ली में बुधवार को गर्मी ने अबतक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। पारा 50 को पार कर गया। बीते 79 सालों में दिल्लीवालों ने ऐसी तपिश नहीं देखी थी। हालांकि शाम होते ही मौसम ने करवट ली और लोगों को बारिश ने मामूली राहत दी। मौसम विभाग का कहना है कि बारिश से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा और अधिकतम तापमान 45 या इसके आसपास ही रहेगा। 52.9 डिग्री तापमान दिल्ली के मुंगेशपुर में था। लोग भी हैरत में हैं कि आखिर देश की राजधानी का यह इलाका इतना गर्म क्यों है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुंगेशपुर दिल्ली के बाहरी हिस्से में स्थित है। राजस्थान और पाकिस्तान से आने वाली गर्म हवाएं सबसे पहले इसी हिस्से को छूती हैं। यह हवाएं इस हिस्से को सबसे अधिक गर्म करती हैं। इसके बाद दिल्ली की स्थानीय स्थिति के साथ हवाएं दिल्ली के अलग-अलग भागों को प्रभावित करती हैं। जैसे की नजफगढ़, नरेला, मुंगेशपुर सभी इसी तरह के स्थान हैं। ये जगह सबसे पहले थार राजस्थान से आ रही गर्म हवाओं को सहते हैं।
दिल्ली के बाहरी हिस्सों में खाली जगह काफी है, जिससे विकिरण बढ़ता है। यहां सूर्य की किरणें सीधे धरती को छूती हैं और अन्य हिस्सों की तुलना में छाया का इंतजाम कम रहता है। ऐसे में जब हवाएं पश्चिम की तरफ से बहती हैं तो यह क्षेत्र सबसे पहले प्रभावित होता है। मौसम विभाग ने देर रात मुंगेशपुर के तापमान पर बयान जारी करते हुए कहा कि 2022 की गर्मियों में राजधानी में मौसम विभाग ने अपना नेटवर्क बढ़ाया है और अब दिल्ली एनसीआर में 15 नई जगहों पर तापमान मापा जा रहा है। दिल्ली एनसीआर में 29 मई को अधिकतम तापमान 45.2 डिग्री से 49.1 डिग्री तक रहा। मुंगेशपुर में अधिकतम तापमान 52.9 डिग्री रहा। ऐसे में इसके सेंसर में त्रुटि होने की संभावना है या फिर यह स्थानीय कारकों की वजह से भी हो सकता है। आईएमडी इस मामले की पूरी जांच कर रहा है। बयान में यह भी बताया गया है कि शहरी क्षेत्र में स्थानीय एक्सपोजर के कारण कई बार तापमान में काफी अंतर रहता है। इसमें पानी से नजदीकी, खाली और बंजर जमीन, कंक्रीट, घनी शहरी आबादी और हरे-भरे क्षेत्र आदि शामिल हैं।
यही नहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्मी से संबंधित बीमारियों एचआरआई के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी को मजबूत करने पर दिशा-निर्देश दिए हैं। कुछ दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने भी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा था कि बढ़ते तापमान के साथ अस्पतालों में आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है और आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।
मंत्रालय ने गर्मी से जुड़ी बीमारियों को लेकर इमरजेंसी कूलिंग के लिए भी गाइडलाइंस जारी की है। मरीजों को अस्पतालों में कोई परेशानी न हो और उनको बेड मिलने में कोई दिक्कत नहीं हो, यह निर्देश भी जारी किया गया है। देश भर के सभी एम्स और मेडिकल कॉलेजों में गर्मी से हुई मौतों में शव परीक्षण निष्कर्षों पर भी गाइडलाइंस दी गई है। राज्यों में एंबुलेंस की कमी नहीं हो। हीट हेल्थ एक्शन प्लान के मुताबिक राज्यों को काम करना होगा ताकि लू लगने से बीमार व्यक्ति का प्राथमिकता के आधार पर इलाज हो और हर अस्पताल में इसके लिए पर्याप्त तैयारी हो। हर मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में हीट स्ट्रोक रूम होना चाहिए।
समीक्षा बैठक में राज्यों की ओर से बताया गया है कि उच्च अधिकारी स्थिति की कड़ी निगरानी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में आग से बचाव को लेकर मॉक- ड्रिल की है। ओडिशा में पूरे राज्य में हीट वेव कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए दस्तक (घर-घर जाकर) अभियान चलाया जा रहा है। हरियाणा ने सभी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों में आवश्यक दवाओं और लॉजिस्टिक्स सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय आवंटन किया है। राजस्थान में 104 और 108 से जुड़ी एंबुलेंस सेवाओं में कूलिंग उपकरण लगाए गए हैं। पश्चिम बंगाल में अग्निशमन विभाग से अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र सुनिश्चित किए जा रहे हैं और मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है।