Friday, March 28, 2025
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अचानक से भारत और तालिबान के रिश्ते क्यों हो रहे हैं ठीक?

आज हम आपको बताएंगे कि भारत और तालिबान के रिश्ते अचानक से ठीक कैसे हो रहे हैं! दरअसल, एक ऐसा समय भी था जब तालिबान और भारत दुश्मन देश हुआ करते थे! लेकिन अब दोस्ती के हाथ बढ़ाए जा रहे हैं! जानकारी के लिए बता दे कि भारत और तालिबान के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। इसका उल्टा असर तालिबान और पाकिस्तान के संबंध पर पड़ रहा है। इसका सबूत आज ही कतर की राजधानी दोहा में दिखा, जब तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने भारत की तारीफ की। उन्होंने अफगाानिस्तान पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत के समर्थन को लेकर धन्यवाद दिया। यह घटना बताती है कि कैसे पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है। भारत 2021 के बाद से तालिबान के साथ जुड़ने को लेकर काफी सतर्क रहा है। भारत ने तालिबान के साथ सिर्फ उतनी ही दोस्ती की, जो रणनीतिक रूप से उचित हो। यही कारण है कि आज अफगानिस्तान में भारत का प्रभाव पाकिस्तान से ज्यादा है। जब अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया तो सभी को लगा कि इसका सबसे बड़ा नुकसान भारत को होगा। पाकिस्तान के राजनेता और कई एक्सपर्ट खुशियां मनाने लगे थे कि भारत का अफगानिस्तान में किया गया करोड़ों डॉलर का निवेश डूब जाएगा। हालांकि, भारत ने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया और तालिबान के साथ सीमित संपर्क स्थापित किया। भारत ने शुरू में काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था। हालांकि, उपस्थिति बनाए रखने के महत्व को पहचानते हुए भारत ने अपना दूतावास फिर से खोल दिया और काबुल में एक तकनीकी टीम तैनात की।

इसके बाद भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए मानवीय सहायता प्रदान की। इसके तहत अफगानिस्तान को गेहूं और दवाइयों समेत कई जरूरी सामान भेजे गए। हालांकि, इस काम में पाकिस्तान ने अपनी तरफ से खूब अड़चन पैदा करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। 2023-24 में, भारत ने अफगान सहायता के लिए लगभग 24 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किए, जो अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत, अफगानिस्तान के क्षेत्रीय सहयोगी के रूप में सामने आया और कई तरह से मदद की। काबुल में तालिबान द्वारा आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेते हुए, भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका पर जोर दिया। यह जुड़ाव क्षेत्र में भारत की सक्रिय कूटनीति को उजागर करता है।

ऐतिहासिक रूप से, भारत ने अफगानिस्तान के विकास में 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिसमें ज़ालरांज-डेलाराम राजमार्ग जैसी प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, कनेक्टिविटी और व्यापार मार्गों को बढ़ाना शामिल है। यह दीर्घकालिक निवेश अफगानिस्तान की प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अपने सहायता प्रयासों के बावजूद, भारत सुरक्षा खतरों के बारे में सतर्क रहा है। इसके साथ ही तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, टीटीपी और अन्य उग्रवादियों जैसे समूहों के साथ तालिबान के संबंध जरूरी चिंता का विषय हैं। और तालिबान का यह रुख कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है, यह कहना अप्रत्यक्ष रूप से भारत का समर्थन करता है।

तालिबान और पाकिस्तान के बीच लगातार बिगड़ते संबंधों ने भारत को बड़ा मौका प्रदान किया है। ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद, सीमा मुद्दों और टीटीपी की गतिविधियों पर तालिबान और पाकिस्तान के बीच हालिया असहमति भारत को रणनीतिक लाभ प्रदान करती है। भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति ने भी इसमें भूमिका निभाई है। शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंध ने ऐतिहासिक रूप से सद्भावना को बढ़ावा दिया है। हालांकि, हाल ही में वीजा मुद्दों से दोनों देशों के रिश्तों में कुछ तनाव जरूर आया है, लेकिन ये तकनीकी कारणों से हुआ है, न कि संबंधों के स्तर पर। इसके बावजूद इन चुनौतियों का समाधान करने से अफगानिस्तान में भारत का प्रभाव और मजबूत हो सकता है।

अफगानिस्तान में तालिबान का नियंत्रण क्षेत्रीय सुरक्षा जोखिम पैदा करता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का संभावित पुनरुत्थान भी शामिल है। भारत की सतर्क कूटनीति का उद्देश्य इन जोखिमों को कम करना और यह सुनिश्चित करना है कि अफ़गानिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा न बने। क्षेत्रीय सम्मेलनों और पहलों में भारत की भागीदारी अफ़गानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए सहयोगी समाधानों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। जैसा की सामूहिक सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए यह मिलाब महत्वपूर्ण है। तथा शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से अफ़गान नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों का समर्थन करना भारत की सॉफ्ट पावर रणनीति का आधार रहा है। लोगों के बीच इन संबंधों को बढ़ाने से अफ़गानिस्तान में भारत का प्रभाव और समर्थन काफ़ी हद तक बढ़ सकता है।

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