हाल ही में राहुल गांधी ने अग्निवीर के मुद्दे पर एक बड़ा बयान दे दिया है! दरअसल, संसद के पहले भाषण के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि अग्निवीरों को शहीद का दर्जा प्राप्त नहीं होता! इसके बाद संसद में विवाद हो गया! जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में चर्चा के दौरान सोमवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अग्निवीर और अग्निपथ स्कीम को लेकर कई बातें कहीं और सरकार पर निशाना साधा। उनकी बात का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विरोध किया। अग्निवीर को लेकर राहुल गांधी की बात कितनी सही है? क्या राहुल गाँधी सदन को गुमराह कर रहे हैं या फिर उनके के आरोप सही हैं? राहुल गांधी ने कहा कि मैं पंजाब में अग्निवीर के परिवार से मिला। वे लैंड माइन ब्लास्ट में शहीद हो गए। मैं उन्हें शहीद कह रहा हूं लेकिन सरकार और मोदी उन्हें शहीद नहीं कहती, अग्निवीर कहती है। बता दे की उन्हें न शहीद का दर्जा मिलेगा न पेंशन मिलेगी। आम जवान की सरकार मदद करेगी लेकिन अग्निवीर की नहीं करेगी। अग्निवीर को 6 महीने की ट्रेनिंग देते हैं जबकि चीन के जवानों को पांच साल की ट्रेनिंग मिलती है और अग्निवीर को राइफल लेकर खड़ा कर देते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि जवानों में फूट डाली जा रही है, एक को पेंशन और शहीद का दर्जा और दूसरे को नहीं और फिर ये सरकार अपने आप को देशभक्त कहते हैं।
राजनाथ सिंह कहा कि राहुल गांधी गलत बयानी करके सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। शहीद होने पर अग्निवीर को 1 करोड़ रुपये की धनराशि सहायता में दी जाती है। साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि सदन झूठ बोलने की जगह नहीं। फैक्चुअल पोजिशन रखनी चाहिए अगर नेता प्रतिपक्ष अपने स्टेटमेंट का सत्यापन नहीं करते तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए। अगर अग्निवीर वीरगति को प्राप्त होते हैं तो उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाती है। भारतीय सेना के मुताबिक अग्निवीर की सेवा शर्तों के मुताबिक बैटल कैजुअल्टी होने पर परिवारवालों को इंश्योरेंस नॉन कॉन्ट्रिब्यूटरी के 48 लाख रुपये, अग्निवीर द्वारा जमा सेवा निधि 30 पर्सेंट और इतना ही अमाउंट सरकार द्वारा दिया जाएगा। एक्स ग्रेशिया के तौर पर 44 लाख रुपये, बाकी बचे कार्यकाल की सैलरी चार साल कुल कार्यकाल दी जाएगी।
साथ ही आर्म्ड फोर्सेस बैटल कैजुअल्टी फंड से 8 लाख रुपये और AWWA की तरफ से तुरंत मदद के तौर पर 30 हजार रुपये दिए जाएंगे। अगर कोई रेगुलर सैनिक शहीद होता है तो उनके परिवार को भी यही सब आर्थिक मदद मिलती है। हालांकि अग्निवीर के केस में इंश्योरेंस का पैसा अग्निवीर जमा नहीं करते जबकि रेगुलर सैनिक के केस में उनका इंश्योरेंस कॉन्ट्रिब्यूट्री होता है। इससे साथ ही रेगुलर सैनिक के शहीद होने पर उनके परिवार को उनकी आखिरी सैलरी के हिसाब से पेंशन मिलती है। साथ ही पूर्व सैनिक को आर्मी कैंटीन, मिलिट्री हॉस्पिटल के जो फायदे होते हैं वह भी शहीद के परिवार को दिए जाते हैं। ये अग्निवीर को नहीं मिलता। राहुल गांधी ने कहा कि जो सच्चाई है वह सेना को और अग्निवीरों को मालूम है। पूरा देश जानता है कि अग्निवीर स्कीम सेना की नहीं है यह पीएमओ की स्कीम है। यह सेना का ब्रेन चाइल्ड नहीं है यह पीएम का ब्रेन चाइल्ड है।
इसके अलावा राजनाथ सिंह ने कहा कि 158 संगठनों से संवाद कर इस योजना को लाए हैं। US, UK में भी इस तरह की स्कीम हैं। बिना समझे बिना जानकारी के सदन को गुमराह कर रहे हैं राहुल गांधी। पूर्व आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे ने अपनी आने वाली किताब ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में अग्निपथ को लेकर लिखा है कि यह आर्मी को हैरान करने वाली थी और एयरफोर्स और नेवी के लिए ये तो झटके की तरह आई थी। जनरल नरवणे ने लिखा है कि उन्होंने 2020 की शुरूआत में प्रधानमंत्री को टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम का प्रस्ताव दिया था उसमें कुछ सीमित संख्या में सैनिकों को कम अवधि के लिए भर्ती करने का प्रस्ताव था।
यह अधिकारियों के शॉर्ट सर्विस कमिशन की तरह था। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय पीएमओ बाद में एक अलग स्कीम लेकर आया – अग्निपथ जिसमें सारी भर्ती ही चार साल के लिए होनी हैं। जैसा की जनरल नरवणे की किताब कब आएगी इस पर भी अभी बात साफ नहीं है। तथा उनकी किताब को अभी रक्षा मंत्रालय की सहमति नहीं मिली है।