यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब आपके लोन की किस्त कर सकती है या नहीं! क्योंकि मोदी सरकार के द्वारा नया बजट जब से पेश किया गया है तब से कई प्रकार के सवाल उठने लगे हैं जो मिडिल क्लास की जेब के लिए सुलभ साबित हो सकते हैं! जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की तीन दिन की बैठक का आज आखिरी दिन है। कमेटी के प्रेसिडेंट और आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास सुबह दस बजे मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे।
जानकारी के लिए बता दे कि देश में बीजेपी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनने के बाद एमपीसी की यह पहली बैठक है। पिछले सात बार से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुई है और यह 6.5% बना हुआ है। हालांकि, महंगाई से जुड़ी चिंताओं और आर्थिक वृद्धि की मजबूत रफ्तार को देखते हुए इस बार भी नीतिगत ब्याज दर में किसी बदलाव की कम संभावना ही जताई जा रही है। रेपो रेट कम होने पर आपके लिए होम, कार या पर्सनल लोन पर ब्याज की दरें कम हो सकती हैं। दूसरी ओर इसके बढ़ने पर बैंकों को पैसे जुटाने में अधिक रकम खर्च करनी होगी और वे अपने ग्राहकों को भी अधिक ब्याज दर पर कर्ज देंगे।यही नहीं एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई इस बैठक में अपने मौद्रिक रुख को जारी रखेगा जिसमें उदार रुझान को वापस लेने की बात कही गई है। गोल्डमैन सेश ने नीतिगत दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखे जाने की संभावना जताई है। केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था।
बता दे कि उसके बाद से इसने अपनी पिछली सात द्विमासिक मौद्रिक समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलावडीबीएस बैंक की कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि मजबूत घरेलू वृद्धि और महंगाई के मेल को ध्यान में रखते हुए एमपीसी अपने सतर्क दृष्टिकोण को दोहराने और अपने ‘उदार रुख को वापस लेने’ का रवैया बनाए रख सकती है। यही नहीं बार्कलेज की क्षेत्रीय अर्थशास्त्री श्रेया सोधानी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण और घरेलू मंहगाई संभावना पर एमपीसी की टिप्पणी इस सप्ताह के अंत में ध्यान केंद्रित करेगी। सोधानी ने कहा कि हम दिसंबर की एमपीसी बैठक में रेपो दर में कटौती के अपने पूर्वानुमान पर कायम हैं। हालांकि, महंगाई आरबीआई की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहती है तो इसमें देरी भी हो सकती है। नहीं किया है।
यही नहीं 6.5 पर्सेंट के ऊंचे रेपो रेट के बीच भी GDP ग्रोथ दमदार बनी हुई है। वित्त वर्ष 2024 में 8.2 पर्सेंट की ग्रोथ के बाद इकनॉमिक सर्वे में कहा गया कि मौजूदा वित्त वर्ष में 7 पर्सेंट तक ग्रोथ हो सकती है। आरबीआई ने 7.2 पर्सेंट ग्रोथ का अनुमान दिया है। ग्रोथ पर आंच आने से रेट घटाने का दबाव बढ़ सकता था। BOB की इकॉनमिस्ट अदिति गुप्ता ने कहा, ‘ग्रोथ दमदार होने से आरबीआई को यह गुंजाइश मिल गई है कि महंगाई का प्रेशर लंबे समय के लिए घटने का भरोसा होने तक वह रेट को मौजूदा स्तर पर रख सकता है।’
बता दे कि रेटिंग एजेंसी ICRA की चीफ इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने NBT से कहा कि ज्यादा ग्रोथ और पहली तिमाही में इंफ्लेशन 4.9 पर्सेंट रहने पर भी अगस्त मीटिंग में रेट कट का चांस नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आने वाले दिनों में मॉनसूनी बारिश हर तरफ अच्छी हो और फूड इंफ्लेशन घटती दिखे, तो अक्टूबर में पॉलिसी बदल सकती है। देसी-विदेशी मोर्चे पर कोई दूसरी दिक्कत नहीं उभरी, तो दिसंबर और फरवरी में रेपो रेट 25-25 बेसिस पॉइंट्स घटाया जा सकता है।’ पिछली मीटिंग में MPC के 6 में से 4 सदस्यों ने यथास्थिति बनाए रखने का पक्ष लिया था। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि रिटेल इंफ्लेशन 4 पर्सेंट से ऊपर बनी हुई है। ऐसे में अभी इंटरेस्ट रेट घटाने की बात नहीं की जा सकती। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है और सितंबर में चेंज हो सकने का संकेत दिया है, लिहाजा आरबीआई कोई कदम उठाने से पहले सितंबर में उसका रुख भी देखना चाहेगा।