आज हम आपको कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड आशीष की रुला देने वाली कहानी सुनाने जा रहे हैं! बता दे की पश्चिम बंगाल के रंगापानी स्टेशन पर कंचनजंघा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर में 10 लोगों की मृत्यु हो गई, और 40 से ज्यादा लोग घायल गए। जैसा की इस एक्सिडेंट में जान गंवाने वालों में रेलवे के गार्ड आशीष डे भी थे। जानकारी के अनुसार आशीष की ड्यूटी पहले शताब्दी एक्सप्रेस में लगाई गई थी, परन्तु उन्होंने बेटी के साथ किए गए वादे को पूरा करने के लिए अपना रोस्टर बदलवा लिया और कंचनजंघा के गार्ड बन गए। इसके साथ ही उन्हें नहीं पता था कि कंचनजंघा में मौत उनका इंतजार कर ही है। तथा वह न्यू जलपाई गुड़ी में ट्रेन में बैठे और रंगापानी में हादसे का शिकार बन गए। इस बीच रेलवे ने जांच में पाया है कि एनजीपी से रंगापानी के बीच कंचनजंघा एक्सप्रेस के ड्राइवर ने तय गति से ट्रेन चलाई, जबकि मालगाड़ी के पायलट ने नियमों की अनदेखी की। आशीष के परिवार वालों ने बताया कि उनकी बेटी कोलकाता में पढ़ती है। इन दिनों वह पापा के पास आई थी। रविवार की रात को उन्होंने पत्नी और बेटी के साथ फादर्स डे सेलिब्रेट किया। आशीष ने अपनी बेटी से वादा किया कि सोमवार को वह उसके साथ ज्यादा वक्त बिताएंगे।
इसके बाद उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस में लगाई गई ड्यूटी को बदलने की अर्जी लगा दी। वह ड्यूटी बदलकर सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के गार्ड बन गए। सोमवार सुबह बारिश के बीच उन्होंने न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से अपनी ड्यूटी शुरू की। डेढ़ घंटे बाद ही घरवालों को हादसे की सूचना मिली। इसके बाद उनका शव घर पहुंचाया गया। उनकी मौत की खबर से पड़ोसी भी स्तब्ध रह गए।
इस बीच रेलवे के अधिकारियों ने ट्रेन एक्सिडेंट के लिए ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम के फेल होने और मालगाड़ी की स्पीड को जिम्मेवार बताया है। रेलवे के मुताबिक कंचनजंघा एक्सप्रेस को टक्कर मारने वाली मालगाड़ी की गति 40 किमी प्रति घंटे से अधिक थी, जबकि उस ट्रैक पर 15 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड रखने के लिए पीएलसीटी जारी की गई थी। रेलवे के नियमों के मुताबिक, पेपर लाइन क्लियर टिकट पीएलसीटी जारी होने के बाद ट्रेन के ड्राइवर को गाड़ी की स्पीड 10 से 15 किमी प्रति घंटे के बीच मेनटेन करना पड़ता है। हालांकि बताया जा रहा है कि मालगाड़ी के ड्राइवर को जारी किए गए पीएलसीटी में स्पीड के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। अब इस मामले की जांच मालगाड़ी के सहायक ड्राइवर मनु कुमार, रंगापानी के स्टेशन मास्टर और दो लेवल क्रॉसिंग पर तैनात कर्मचारियों के बयान पर टिकी है। मनु कुमार अभी सिलीगुड़ी के नर्सिंग होम में एडमिट है, जहां सिर्फ उसकी पत्नी को मिलने की अनुमति दी गई है।