आज हम आपको कंचनजंगा ट्रेन हादसे की अनदेखी कहानी सुनाने जा रहे हैं ! हाल ही में कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई, जिसके बाद कई घटनाएं सामने आई! जानकारी के लिए बता दे कि न्यू जलपाईगुड़ी से थोड़ा आगे रेलवे ट्रैक पर मातम का मंजर था। हर तरफ चीख पुकार मची हुई थी। सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को आज सुबह एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। सुबह 9 बजे हुए इस हादसे के बाद एक्सप्रेस ट्रेन में अफरातफरी का मंजर था। घायलों की चीख पुकार ने दहलाने वाला था। हादसा इतना भयंकर था कि मालगाड़ी की दो बोगियां एक्सप्रेस ट्रेन के ऊपर चली गई। घायलों को स्थानीय प्रशासन ने निकाला और उन्हें निकट के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। जैसा की हादसे में बचे एक व्यक्ति ने बताया कि अचानक से धमाके की आवाज हुई। इसके साथ ही लोगों एक-दूसरे पर गिरने लगे। उसके सिर के पिछले हिस्से में चोट लगी। उन्होंने बताया कि इसके बाद लोग ट्रेन से नीचे कूदने लगे। हर तरफ बदहवास चेहरे दिख रहे थे। मौके पर पहुंचे एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि वह खेतों पर काम कर रहा था। तभी तेज आवाज सुनाई दी। वह कुछ समझ पाता कि चीखें आईं। वह रेलवे ट्रैक की तरफ भागा तो दृश्य देखर घबरा गया। उसके साथ ही कई और स्थानीय लोग वहां आ गए। अन्य यात्रियों के साथ मिलकर उन लोगों ने राहत कार्य शुरू किया।
बता दे की हादसा सुबह 9 बजे हुआ। और अगरतला से आ रही 13174 कंचनजंगा एक्सप्रेस न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास रंगापानी के पास खड़ी थी। इसी दोरान एक मालगाड़ी ने ट्रेन में पीछे से टक्कर मारी। हादसे के बाद दो बोगियां डीरेल हुईं और वे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गईं। हादसे की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें दिख रहा है कि ट्रेन के दो डिब्बे लगभग ढह गए हैं। ट्रेन हादसा इतना भयावह था कि आवाजें दूर-दूर तक सुनाई दीं। स्थानीय लोग बचाव कार्य में जुट गए। फंसे यात्रियों को निकालने का काम शुरू हुआ। गैस कटर मंगाकर बोगियों को काटकर फंसे यात्रियों को निकाला गया। हादसे के बाद लोगों ने बताया कि किस तरह ट्रेन हादसे ने उनका दिल दहला दिया।
ट्रेन में सवार एक यात्री ने बताया कि सुबह का लगभग 9 बजा था। वह ट्रेन के अंदर था और हल्की नींद में था। यात्री ने बताया, ‘तभी ट्रेन को तेज झटका लगा और भीषण आवाज आई। इसी के साथ चीख-पुकार मचने लगी। मैं भी बोगी से उतरकर पीछे की ओर भागा। तब तक साफ हो गया था कि ट्रेन हादसा हुआ है। मैंने देखा कि कुछ महिलाओं के कपड़ों में खून लगा था और वह चीख रही थीं। एक महिला के हाथ में छोटा बच्चा था, अपनी मां को रोता देखकर बच्चा भी रोए जा रहा था। मैं कबाड़ जैसी हो चुकी बोगियों के बीच झांकर देखने लगा कि कहीं कोई फंसा तो नहीं।’
एक अन्य पेसेंजर ने बताया, ‘मैं ट्रेन के अंदर था। बी-1 कोच में बैठा था। उसके साथ ही तभी तेज झटका लगा। और मेरा सर बोगी से जा लगा। सब रो रहे थे, मैं भी बाहर आया। मै घबरा गया। मेरी बोगी में सब सेफ थे लेकिन पीछे लोगों की मौत हो गई थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। हम आपस में हादसे को लेकर बात कर रहे थे कि थोड़ी देर बाद मेरे घरवालों का फोन आया। मैंने उन्हें बताया कि मैं पूरी तरह से सुरक्षित हूं।’
एक अन्य यात्री ने बताया कि वह आगे बोगी से निकलकर पीछे गए तो देखा कि एक बोगी ट्रेन की दूसरी बोगी के ऊपर चढ़ी थी। यह मंजर इतना भयावह था कि देखकर दिल दहल गया। बोगी के ऊपर वाली बोगी हवा में झूल से रही थी। लोगों को पीछे हटने के लिए कहा गया ताकि अगर बोगी किसी कारणवश गिरती है तो कोई और कैजुएलिटी न हो। लोग मलबे में अपना सामान और अपनों को ढूंढ रहे थे। चीखें और रोने की आवाजें कानों को चीर रही थीं। मेरा दिमाग यह सब सुनकर सुन्न सा पड़ गया था।