Friday, March 28, 2025
HomeRailwayजब जलपाईगुड़ी पहुंचने से 3 घंटे पहले ही हो गया था सिग्नल...

जब जलपाईगुड़ी पहुंचने से 3 घंटे पहले ही हो गया था सिग्नल फेल!

हाल ही में हुई जलपाईगुड़ी की घटना में पता चला है कि 3 घंटे पहले ही सिंगल फेल हो गया था! नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं, जो चौका देने वाले हैं! जानकारी के लिए बता दें कि कंचनजंगा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच पिछले सोमवार को हुई भीषण टक्कर में 10 लोगों की मौत हो गई। यह हादसा रंगापानी और छत्तर हट स्टेशनों के बीच हुआ था। जांच में पता चला है कि उस दिन सुबह 5 बजकर 50 मिनट से ही सिग्नल प्रणाली में खराबी आ गई थी, लेकिन पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारियों को इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली। इसके कारण दुर्घटनास्थल पर मैन्युअल रूप से ट्रेनों को चलाने की व्यवस्था करनी पड़ी। हादसे के अगले दिन आई एक संयुक्त रिपोर्ट में इस खराबी को बताया गया। जैसा की ऑटोमेटेड सिग्नल काम कर रहे होते, तो मालगाड़ी के मृतक लोको पायलट को लाल बत्ती पर रुकना पड़ता। उसे फिर 10-15 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से सावधानी से आगे बढ़ना पड़ता। क्योंकि सिग्नल काम नहीं कर रहे थे, इसलिए उन्हें एक पेपर लाइन-क्लियर टिकट यानी T/A 912 दिया गया, जिससे मालगाड़ी बिना गति कम किए रंगापानी पार कर गई। इसके बाद मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी।

अधिकारी ने बताया कि T/A 912 केवल तभी जारी किया जाता है जब सिग्नल ब्लॉक होता है, या स्टेशनों के बीच खराब सिग्नल वाला हिस्सा होता है। एक समय में केवल एक ही ट्रेन को प्रत्येक लाइन पर चलने की अनुमति होती है। पिछले सोमवार को रंगापानी और छत्तर हट के बीच स्वचालित सिग्नलिंग वाले सभी रेल डिवीजनों में पालन किए जाने वाले इस महत्वपूर्ण सुरक्षा नियम का उल्लंघन किया गया था। दो ट्रेनों को एक ही लाइन पर केवल 15 मिनट के अंतराल पर आगे बढ़ने दिया गया, जिससे दुर्घटना हुई। बता दे की हादसे के बाद एक संयुक्त रिपोर्ट में प्रारंभिक धारणा के बारे में असहमति दर्शायी गई है कि दुर्घटना मालगाड़ी के लोको पायलट द्वारा स्वचालित संकेतों को पार करने के दिशानिर्देशों का पालन करने में विफलता और कथित रूप से गति सीमा को पार करने के कारण हुई। कई अधिकारियों ने मानक संचालन प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि जब भी सिग्नल फेल होता है और T/A 912 जारी किया जाता है, तो लोको पायलट पर कोई गति सीमा लागू नहीं होती है। जब सोमवार की तरह लंबी अवधि के लिए सिग्नल फेल होता है, तो एक अलग लिखित प्राधिकरण – फॉर्म T/D 912 – जारी किया जाना होता है, जिससे ट्रेनों की गति 25 किलोमीटर प्रति घंटे तक सीमित हो जाती है।

रेलवे अधिकारी ने कहा कि शायद यही कारण है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस के स्टेशन मास्टर और लोको पायलट की हरकतें मालगाड़ी के लोको पायलट से अलग थीं। जहां बाद वाला नियमानुसार काम कर रहा था, वहीं स्टेशन मास्टर और कंचनजंगा एक्सप्रेस के लोको पायलट सिग्नलिंग फेल मोड में काम कर रहे थे। लेकिन उन नियमों का पालन कर रहे थे जो सिग्नल चालू होने पर लागू होते हैं। मालगाड़ी के घायल सहायक लोको पायलट मनु कुमार के माता-पिता ने अपने बेटे के लिए न्याय की मांग की है। रेलवे ने दुर्घटना के लिए उन्हें और उनके मृतक सहयोगी लोको पायलट अनिल कुमार को दोषी ठहराया है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments