Friday, March 28, 2025
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क्या संघ और भाजपा फिर से हो गए हैं एक ?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या संघ और भाजपा फिर से एक हो गए हैं या नहीं! क्योंकि अगर बात लोकसभा चुनावों की कीजाए तो उनमें कहीं ना कहीं संघ और बीजेपी अलग-अलग नजर आ रहे थे! लेकिन अब शायद ऐसा नहीं है! जानकारी के लिए बता दे कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों के कम होने की एक वजह आरएसएस के साथ उसके तालमेल की कमी को भी माना गया। बता दें कि बीजेपी के अतिआत्मविश्वास का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था कि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव के दौरान ही एक इंटरव्यू में कहा कि अब भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जरूरत नहीं है, वह खुद सक्षम है। लेकिन 4 जून को चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी का ये भ्रम भी शायद टूट गया। अब आने वाले चुनावों में ये गलती न दोहराई जाए, इसके लिए बीजेपी कमर कस चुकी है। संघ से तालमेल में कोई कोर कसर न रह जाए, इसका खूब खयाल रख रही है। बता दें इसकी झलक महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में दिख रही है जहां इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी तीन अहम राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले संघ के साथ तालमेल बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए दोनों संगठनों के नेताओं के बीच लंबी-लंबी बैठकें हो रही हैं।

यही नहीं सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बीजेपी के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देब और सह-प्रभारी सुरेंद्र सिंह नागर सहित सूबे के बीजेपी नेता बैठक में शामिल हुए। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव, संगठन बी एल संतोष ने भी बैठक में शिरकत की। आरएसएस की तरफ से उसके सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और हरियाणा इकाई के पदाधिकारी शामिल हुए। कुमार का काम बीजेपी और संघ के बीच सेतु का है। उन्हें दोनों संगठनों के बीच समन्वय की जिम्मेदारी मिली हुई है। बैठक सोमवार शाम को शुरू हुई और आधी रात तक चली।

बता दे कि बीजेपी के झारखंड प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी झारखंड चुनावों पर चर्चा करने के लिए अरुण कुमार से मुलाकात की। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद माना जा रहा है कि संघ कार्यकर्ता लोकसभा चुनावों में सक्रिय रूप से शामिल नहीं थे। बीजेपी और उसके वैचारिक संरक्षक के बीच समन्वय की कमी थी। महाराष्ट्र के लिए भी दो दिनों तक ऐसी ही बैठक हुई, जो बीजेपी और RSS दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव है। बैठक में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव के अलावा अरुण कुमार और अतुल लिमाये सहित संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। संघ के एक वर्ग को महाराष्ट्र में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ बीजेपी के गठबंधन पर कुछ आपत्तियां हैं।

बता दे कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का एक बयान काफी चर्चित हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि अब पार्टी को जीत के लिए संघ की दरकार नहीं है। नड्डा ने कहा था कि पहले बीजेपी को संघ की जरूरत थी लेकिन आज वह खुद ही सक्षम है। आज पार्टी खुद ही खुद को चला रही है। तब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नड्डा के बयान को उनका निजी विचार करार दिया था। 4 जून को जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए तो बीजेपी बहुमत के जादुई आंकड़े से काफी पीछे रह गई। यूपी, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

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