Friday, March 28, 2025
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क्या नेपाल में हो चुका है तख्तापलट?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नेपाल में सत्ता का तख्तापलट हो चुका है या नहीं! क्योंकि हाल ही में प्रचंड सरकार का तबादला तय माना जा रहा है! जानकारी के लिए बता दे कि नेपाल में नाटकीय घटनाक्रम के तहत दो सबसे बड़े दलों नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक नयी ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति की सरकार’ बनाने के वास्ते सोमवार आधी रात को एक समझौता किया। वहीं, नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सहमति बनने के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी केंद्र के सचिव गणेश शाह ने बताया के पार्टी पदाधिकारियों की मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में प्रचंड ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे। सीपीएन-यूएमएल ने आज प्रधानमंत्री प्रचंड से पद छोड़ने का आग्रह किया ताकि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नई सरकार बनाई जा सके। इसने सभी राजनीतिक दलों से देश में राजनीतिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए ओली के नेतृत्व में ”राष्ट्रीय सरकार” में शामिल होने का भी आग्रह किया। पूर्व विदेश मंत्री नारायण प्रकाश सौद के अनुसार, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार मध्यरात्रि को समझौते पर हस्ताक्षर किए।

सौद ने बताया कि देउबा और ओली संसद के शेष कार्यकाल के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए। सौद नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य भी हैं। नेपाल के प्रतिनिधि सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीट जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीट हैं। दोनों दलों की संयुक्त संख्या 167 है जो 275 सदस्यीय सदन में बहुमत के 138 सीट के आंकड़े के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही ओली देउबा ने दोनों दलों के बीच संभावित नए राजनीतिक गठबंधन की जमीन तैयार करने के लिए शनिवार को भी मुलाकात की थी जिसके बाद ओली की सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से रिश्ता खत्म कर लिया। उसने महज चार महीने पहले ही इस सरकार को अपना समर्थन दिया था। समझौते के तहत ओली डेढ़ साल तक नयी, ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति वाली सरकार’ का नेतृत्व करेंगे। बता दे की बाकी के समय के लिए देउबा प्रधानमंत्री रहेंगे। मीडिया में आयी खबरों में दोनों दलों के कई वरिष्ठ नेताओं के हवाले से कहा गया है कि दोनों नेता नई सरकार बनाने, संविधान में संशोधन करने और सत्ता बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत करने के लिए सहमत हुए। उन्होंने यह समझौता कुछ विश्वासपात्रों के साथ साझा किया है। नेपाल में पिछले 16 साल में 13 सरकारें बनी हैं जिससे इस हिमालयी देश की राजनीतिक प्रणाली की कमजोरी जाहिर होती है।

जैसा की सीपीएन-यूएमएल के सचिव शंकर पोखरेल ने मीडियाकर्मियों को बताया कि पूर्व पीएम ओली के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सरकार बनाने के लिए नेपाली कांग्रेस के साथ एक समझौता किया गया है। इससे पहले दिन में, सीपीएन-माओवादी सेंटर के करीबी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली से बातचीत कर रहे हैं। सीपीएन-माओवादी केंद्र के सचिव गणेश शाह ने कहा, ”प्रचंड अभी पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। प्रचंड और ओली के बीच बातचीत खत्म होने से पहले कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।”

पर्यवेक्षकों का कहना है कि देउबा और ओली के बीच बंद कमरे में हुई बैठक से चिंतित प्रचंड यह आश्वासन देने के लिए ओली से मिलने गए थे कि सरकार सीपीएन-यूएमएल द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने को लेकर गंभीर है। खबर में कहा गया है कि सोमवार को सुबह हुई बैठक के दौरान ओली ने प्रचंड से इस्तीफा देने की स्थिति में उनका समर्थन करने का अनुरोध किया।

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