हाल ही में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के द्वारा अढ़ाई दिन के झोपड़े को लेकर एक बयान दे दिया गया है! बता दे की जैन समाज अढ़ाई दिन के झोपड़े को अब अपना जैन मंदिर बता रहा है! जिसके बाद विवाद शुरू हो चुका है! जानकारी के लिए बता दे कि अजमेर के 800 साल पुराने अढ़ाई दिन के झोपड़े पर बीते मंगलवार को जैन संत के आगमन पर हुआ बवाल अब तूल पकड़ने लगा है। इसको लेकर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विरोध जताते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने जैन संतों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर जैन समाज और सनातन धर्म का अपमान किया हैं। उन्होंने सरवर चिश्ती से जैन समाज और सनातन समाज से माफी मांगने को कहा है। इधर, अजमेर के अढ़ाई दिन के झोपड़े पर किसका हक है? इसको लेकर फिर से झड़प शुरू हो गई है। इस दौरान वाशुदेव देवनानी ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा का क्या सच है? इसके लिए एएसआई को सर्वेक्षण के लिए पत्र लिखा जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बयान जारी कर कहा सचिव सरवर चिश्ती ने जैन संतों को ‘बिना कपड़ों के’ कहा है। जैसा की भारतीय सनातन संस्कृति में तप और तपस्वियों का सबसे ऊपर स्थान है। जैन संत जीवनभर वस्त्रहीन रह कर समाज को अपरिग्रह और तपस्यापूर्ण जीवन का संदेश देते हैं। उनका शुद्ध आचरण समाज में शुद्धता और शुचिता का प्रतीक है। जैन संतों ने सदैव अहिंसा पर बल दिया है। समाज में शांति और सदाचार की बात कही है। ऐसे जैन संतों के खिलाफ अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बयान बेहद घृणित, दुर्भाग्यपूर्ण और उनकी विकृत मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने जैन संतों के वस्त्रों को लेकर जो टिप्पणी की है, वह समस्त जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली है।
देवनानी ने कहा कि सरवर चिश्ती को सनातन समाज से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा सदैव से जनमानस में संस्कृत विद्यालय के रूप में अंकित रहा है। अजमेर के लोग जानते है कि सनातन संस्कृति में पुराने समय में इसका शिक्षा के रूप में क्या महत्व था? कालांतर में इस पर किस तरह कब्जा हुआ और कैसे यह विद्यालय से अढ़ाई दिन का झोपड़ा बना, यह खोज का विषय है। अजमेर के अढ़ाई दिन के झोपड़े पर किसका हक है? इसको लेकर फिर से झड़प शुरू हो गई है। इस दौरान वाशुदेव देवनानी ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा का क्या सच है? इसके लिए एएसआई को सर्वेक्षण के लिए पत्र लिखा जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बयान जारी कर कहा सचिव सरवर चिश्ती ने जैन संतों को ‘बिना कपड़ों के’ कहा है।सनातनी इस तरह की ओछी मानसिकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के बयान के बाद एक बार फिर लड़ाई दिन के झोपड़ी पर किसका हक है इसको लेकर बहस चढ़ गई है। बता दें कि अजमेर दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने जैन संतों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर जैन समाज और सनातन धर्म का अपमान किया हैं। उन्होंने सरवर चिश्ती से जैन समाज और सनातन समाज से माफी मांगने को कहा है। इधर, अजमेर के अढ़ाई दिन के झोपड़े पर किसका हक है? इसको लेकर फिर से झड़प शुरू हो गई है। इस दौरान वाशुदेव देवनानी ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा का क्या सच है? इसके लिए एएसआई को सर्वेक्षण के लिए पत्र लिखा जाएगा। देवनानी ने कहा कि ‘सरवर चिश्ती ने जैन संतों के शरीर पर टिप्पणी कर भारतीय सनातन संस्कृति का अपमान किया है। उन्हें सनातन संस्कृति से माफी मांगनी चाहिए।’ देवनानी ने कहा कि अढ़ाई दिन का झोंपड़ा की सच्चाई जानने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र लिखा जाएगा। इस सर्वेक्षण के बाद ही सब लोगों के सामने स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि अढ़ाई दिन के झोपड़े पर किसका हक है?